अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उत्तर कोरिया के सुप्रीम लीडर किम जोंग उन की मुलाकात के बाद अब चीन और दलाई लामा के बीच बातचीत शुरू करने की मांग उठने लगी है. अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने सांसदों से कहा कि अमेरिका को सार्वजनिक रूप से यह कहना चाहिए कि चीन को दलाई लामा या उनके प्रतिनिधियों के साथ बिना पूर्व शर्त के सार्थक और सीधी बातचीत करनी चाहिए.

बुधवार को पोम्पियो का यह बयान बीजिंग दौरे से महज एक दिन पहले आया है. अमेरिका की विदेशी मामलों की सीनेट कमेटी के सदस्यों के सवालों के जवाब में पोम्पियो ने कहा कि वो चीन के अधिकारियों के साथ बातचीत में तिब्बती लोगों के लिए धर्म और विश्वास की आजादी व मानवाधिकार की खातिर दबाव बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं. उन्होंने कहा कि वो तिब्बत के राजनीतिक कैदियों की रिहाई की भी वकालत करेंगे.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गेंग शुआंग ने कहा कि गुरुवार को पोम्पियो चीन जाएंगे और अपने चीनी समकक्ष के साथ साझा चिंता के प्रमुख वैश्विक और क्षेत्रीय मुद्दों व द्विपक्षीय संबंधों पर विचारों का आदान प्रदान करेंगे.

पोम्पियो ने कहा, ‘मेरा सुझाव तो यह है कि अमेरिका सार्वजनिक तौर पर यह कहे कि चीन के अधिकारियों को मतभेदों को दूर करने और तनाव कम करने के लिए दलाई लामा या उनके अधिकारियों के साथ बिना किसी पूर्व शर्त के सीधी बातचीत करनी चाहिए.’

अमेरिकी विदेश मंत्री ने कहा कि वो तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र तक अमेरिकी पत्रकारों, राजनयिकों, विद्वानों और अन्य की नियमित पहुंच नहीं होने का मुद्दा भी उठाएंगे. पोम्पियो ने अपनी नियुक्ति की अनुमोदन प्रक्रिया में सवालों के लिखित जवाब पेश किए थे. विदेश मामलों की सीनेट समिति ने इन जवाबों को हाल में जारी किया है.

मालूम हो कि साल 1959 से दलाई लामा भारत में निर्वासन में रह रहे हैं और हिमाचल के धर्मशाला में निर्वासित तिब्बत सरकार भी है. चीन दलाई लामा के प्रत्यर्पण को लेकर काफी लंबे अरसे से भारत पर दबाव बना रहा है. हालांकि भारत ऐसा करने के लिए तैयार नहीं है. भारत में सरकारें बदलीं, लेकिन दलाई लामा के प्रति सभी का रुख एक जैसा रहा.

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