नरसिंहपुर । मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान ने शनिवार को नरसिंहपुर जिले की करेली तहसील के पिपरिया-रांकई गाँव में खेतों में जाकर ओला प्रभावित फसलों का जायजा लिया। उन्होंने ओले से प्रभावित गेहूँ और चने की फसलें देखी। मुख्यमंत्री ने यहाँ किसानों से चर्चा कर उनकी फसलों को हुए नुकसान के बारे में पूछा। उन्होंने किसानों को आश्वस्त किया कि संकट की घड़ी में सरकार उनके साथ है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन फसलों का 50 प्रतिशत या अधिक नुकसान हुआ है उनको शत-प्रतिशत मानकर राहत दी जायेगी। मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंक ऋण वसूली को स्थगित करने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि सहकारी बैंक के अल्पकालीन ऋणों को मध्यावधि ऋण में परिवर्तित किया जायेगा। संबंधित किसानों के ऋण के तीन साल का ब्याज सरकार देगी। प्रभावित किसानों के बिजली बिलों की वसूली भी स्थगित की जायेगी। बिजली के पिछले बकाया बिलों की आधी राशि सरकार भरेगी और आधी राशि संबंधित किसान किस्तों में जमा कर सकेंगें।
मुख्यमंत्री ने कहा कि किसानों के एक-एक खेत का सर्वे किया जायेगा। ओले के अलावा बारिश से हुए फसलों के नुकसान का भी सर्वे किया जायेगा। श्री चौहान ने ओलों से क्षतिग्रस्त मकानों और मवेशियों के नुकसान का आकलन कर प्रभावित किसानों को निर्धारित मापदंडों के अनुसार राहत राशि वितरण के निर्देश दिये। मुख्यमंत्री ने जिले में आगामी 2 मार्च तक सर्वे कार्य पूर्ण होने की उम्मीद जतायी। मुख्यमंत्री ने संबंधित अधिकारियों को हिदायत दी कि नुकसान के आकलन में गड़बड़ी नहीं होना चाहिए। पूरी फसल में से यदि एक एकड़ के रकबे को भी नुकसान पहुँचा है तो उसे भी नुकसानी मानकर राहत दी जायेगी।
मुख्यमंत्री ने बताया कि राजस्व पुस्तक परिपत्र के प्रावधानों में बदलाव कर प्राकृतिक आपदा में राहत राशि में बढ़ोत्तरी की गयी है। अब फसल में 50 प्रतिशत से अधिक की क्षति होने पर गेहूँ, चना और अन्य फसलों के लिए प्रति हेक्टेयर 10 हजार रूपये की राहत राशि देने का प्रावधान किया गया है। उन्होंने बदले हुए मापदंड के हिसाब से राहत देने के निर्देश दिये। उन्होंने फसल कटाई परीक्षण सही ढंग से करने पर बल दिया और कहा कि बीमा कंपनियों से भी फसल बीमा योजना की राशि दिलाना सुनिश्चित करने के लिए सरकार कतिबद्ध है।
श्री चौहान ने ओला प्रभावित क्षेत्रों में मूँग, उड़द, मक्का और गन्ना लगाने के लिए कार्य-योजना बनाने के निर्देश दिये।