पिछले साल 6 जून को मंदसौर में किसान आंदोलन के दौरान 6 लोगों के मारे जाने की घटना के एक साल पूरा होने पर देशभर में बुधवार से शुरू होकर 10 दिन के लिए किसान आंदोलन किया जा रहा है। एक साल में किसानों के हालात नहीं सुधरे हैं और वे एक बार फिर कर्जमाफी, उत्पाद की बढ़ी कीमत और स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की मांग लेकर सड़कों पर हैं। यही नहीं, अपनी बात सुनवाने के लिए किसान उन्हीं उत्पादों को सड़कों पर फेंक रहे है जिन्हें कई महीनों की मेहनत के बाद उन्होंने पैदा किया था।
पंजाब के फरीदकोट में किसानों ने सब्जियां सड़कों पर फेंकना शुरू कर दिया है। उन्होंने गांवों से शहरी बाजारों तक सब्जियों, फलों और दूध की आपूर्ति को भी बंद कर दिया है। शहर के बाहर सामान ले जारी गाड़ियों को रोका जा रहा है। उधर, लुधियाना में भी दूध से भरे कंटेनर सड़कों पर पलट दिए गए।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पुणे के खेडशिवापुर में प्रदर्शन कर रहे किसानों ने कई हजार लीटर दूध बहा दिया। इसी तरह उत्तर प्रदेश के संभल में भी 10 दिन के ‘किसान अवकाश’ की शुरुआत आपूर्ति रोककर की गई। हालांकि, मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने बचे हुए दूध को फेंकने के स्थान पर गांव में उससे मिठाई बना गांव में ही बांटने का फैसला किया है।
उधर, राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के अध्यक्ष शिवकुमार शर्मा ने 10 जून को दोपहर 2 बजे तक के लिए ‘भारत बंद’ बुलाया है। उन्होंने बताया है कि 130 से अधिक किसान संगठन उनके साथ हैं। उन्होंने कहा, ‘यह अब देशव्यापी आंदोलन बन गया है। हमने इसे ‘गांव बंद’ का नाम दिया है। हम शहरों में नहीं जाएंगे क्योंकि हम आमजन के जीवन को बाधित नहीं करना चाहते।’ इसके साथ ही उन्होंने शहरी व्यापारियों से 10 जून को दुकानें बंद रख पिछले सालों में जान गंवाने वाले किसानों को श्रद्धांजलि देने की अपील भी की।

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