अमरीका में ब्रिटेन के राजदूत सर किम डैरोक ने कहा है कि उन प्रस्तावों पर काम किया जा रहा है, जिनसे ईरान के साथ परमाणु समझौते पर अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप की चिंताओं को कम किया जा सकता है.
अमरीकी राष्ट्रपति ट्रंप ईरान के साथ हुए परमाणु समझौते के मुखर आलोचक रहे हैं. आशंका जताई जा रही है कि राष्ट्रपति ट्रंप ईरान के साथ इस समझौते को रद्द करने की घोषणा कर सकते हैं.
अमरीका में ब्रिटेन के राजदूत सर किम डैरोक ने कहा है कि ब्रिटेन, फ्रांस और जर्मनी उन उपायों की तलाश कर रहे हैं, जिनसे अमरीका को इस समझौते को रद्द करने से रोका जा सके.
उन्होंने कहा, ‘इस मुद्दे पर हमारे कुछ विचार हैं. हमें लगता है कि हम कोई भाषा तलाश सकते हैं, कुछ ऐसा कर सकते हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप की चिंताओं को दूर किया जा सके. हम फ्रांस और जर्मनी में अपने सहयोगियों के साथ बातचीत कर रहे हैं. जब तक ईरान इस समझौते का पालन कर रहा है, हमारे कोशिश रहेगी कि समझौता कायम रहे.’
‘ईरान पुराने रास्ते पर जा सकता है’
अमरीका में ब्रिटेन के एक पूर्व राजदूत पीटर वेस्टमेकॉट का कहना है कि अमरीका ने यदि इस समझौते को तोड़ा तो ईरान अपना परमाणु कार्यक्रम दोबारा शुरू कर सकता है.
वे कहते हैं, ‘ये संभव है कि कट्टरपंथी, ख़ासतौर पर रेवॉल्यूशनरी गार्ड और उनकी तरह के अन्य लोग, जो पश्चिमी देशों के साथ कभी इस तरह का समझौता नहीं करना चाहते थे, वो अयातुल्लाह और अन्य को राज़ी कर सकते हैं कि परमाणु कार्यक्रम दोबारा शुरू करना ईरान के हित में होगा.’
इससे पहले, ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी कह चुके हैं कि राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान के साथ परमाणु समझौता खत्म किया तो अमरीका को ऐतिहासिक रूप से पछताना होगा.
इस सवाल पर वॉशिंगटन में इस मामले के जानकार डॉक्टर अहसान एहरारी कहते है, ‘हर तरफ़ से कहा जा रहा है अमरीका को, इस डील को मत छोड़िए आप. ईरान के पास संसाधन हैं, ज्ञान है. ईरान का जो न्यूक्लियर रिसर्च प्रोग्राम चल रहा है वो उसकी रफ़्तार बढ़ा देंगे.’
वो कहते हैं, ‘ट्रंप न सिर्फ़ धमकी देंगे मिलिट्री ऐक्शन लेने की, बल्कि मैं समझता हूं कि ट्रंप के दौर में अमरीका कोशिश कर रहा है मिलिट्री ऐक्शन लिया जाए ईरान के ख़िलाफ़, जैसे जॉर्ज बुश ने किया था सद्दाम के समय.’
ईरान के साथ परमाणु समझौते पर दस्तख़त करने वाले देश हैं- अमरीका, रूस, चीन, जर्मनी, ब्रिटेन और फ्रांस. अमरीका को छोड़कर बाकी सभी देश चाहते हैं कि ईरान के साथ अंतरराष्ट्रीय परमाणु समझौता बना रहे. ये समझौता तीन वर्ष पहले हुआ था.
इस समझौते के बाद ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को रोक दिया था, जिसके बदले में अमरीका ने ईरान पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी थी. ये समझौता राष्ट्रपति बराक ओबामा के कार्यकाल में हुआ था. लेकिन डोनल्ड ट्रंप के राष्ट्रपति बनने के बाद से ही इस पर ख़तरा मंडरा रहा है.