वॉशिंगटनः अफ्रीकी देश जिबूती में स्थित चीन के पहले विदेशी सैन्य अड्डे से अमरीकी विमानों को लेजर से टारगेट करने पर दोनों देशों के बीच ठन गई है। अमरीका ने दावा किया है कि होर्न ऑफ अफ्रीका प्रायद्वीप में जिबूती सैन्य अड्डे पर चीनी सैनिकों ने अमरीकी विमान को लेजर से निशाना बनाया है, जिसमें विमान के पायलट घायल हो गए। अमरीका पहले भी औपचारिक तौर पर चीन से ऐसी कई घटनाओं की शिकायत कर चुका है, जिसमें उसके पायलटों को लेजर्स के जरिए परेशान किया गया।
पेंटागन की प्रवक्ता डाना वाइट ने कहा कि इस घटना को लेकर दोनों देशों में तनाव बढ़ सकता है।अमेरिका इस बात को लेकर आश्वस्त है कि चीनी नागरिकों ने ही ऐसे लेजर्स का इस्तेमाल किया है। उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते कई बार इस तरह की घटनाएं हुईं। वाइट ने आगे कहा कि ऐसे मामले अमेरिकी एयरमेन के लिए गंभीर खतरा पैदा करते हैं । अमरीका ने चीन से इन घटनाओं की जांच करने को कहा है। प्रवक्ता ने अनुमान लगाते हुए कहा कि हाल के दिनों में करीब 10 बार लेजर से टारगेट करने की घटनाएं हुईं। घायल होने के कारण पेंटागन ने औपचारिक शिकायत मांगी थी और मामले बढ़ने से समस्या बढ़ती गई। पेंटागन की प्रवक्ता मरीन लेफ्टिनेंट कर्नल क्रिस लोगन ने कहा कि पायलटों से मिली रिपोर्ट्स से साफ है कि तीन बार इस्तेमाल किए गए लेजर्स मिलिटरी ग्रेड के थे और उन्हें चीनी बेस के काफी करीब से टारगेट किया गया।
चीन ने आरोपों को किया खारिज
उधर, चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक संक्षिप्त बयान में कहा कि अमरीका के आरोप झूठे हैं। कहा गया, ‘हमने आधिकारिक चैनलों के जरिए इन झूठी आलोचनाओं को पहले ही खारिज कर दिया है। चीन लगातार अंतर्राष्ट्रीय नियमों और स्थानीय देश के नियमों का पालन करता रहा है। इसके साथ ही चीन क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता के लिए भी प्रतिबद्ध है।’ चीन के विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने कहा कि सरकार की ओर से गंभीर रूप से जांच की गई है और अमरीकी पक्ष की ओर से लगाए गए आरोप निराधार पाए गए।
जिबूती में तैनात हैं 4,000 अमरीकी जवान
जिबूती में एक अमरीकी सैन्य बेस भी है, जहां करीब 4,000 जवान तैनात हैं। इसमें स्पेशल ऑपरेशंस फोर्सेज भी शामिल हैं। खास बात यह है कि अमरीकी बेस यमन और सोमालिया में ऑपरेशंस के लिए लॉन्च पैड के तौर पर भी काम करता है। चीन ने भी पिछले साल विदेशी धरती पर जिबूती में ही अपना पहला नेवल बेस खोला था, जो पेइचिंग की बढ़ती सैन्य ताकत को दर्शाता है। चीन का बेस अमेरिकी बेस से कुछ मील की दूरी पर है। अमेरिका ने कहा है कि पायलटों को आंख में मामूली चोट आई। हालांकि एयरक्राफ्ट को कोई नुकसान नहीं पहुंचा