अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा की बीते 10 दिनों की तस्वीरों के मुताबिक भारत के बड़े हिस्से में आग जैसी लगी दिख रही है। यह स्थिति उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ समेत दक्षिण के भी कई राज्यों में दिख रही है। तपती गर्मी के मौसम में इसके चलते मौसम में बहुत अधिक गर्मी पैदा हो रही है और ब्लैक कार्बन पलूशन भी फैलता है। भारत के बड़े हिस्से में दिख रहे आग के ये निशान जंगलों की आग की वजह से भी हो सकते हैं, लेकिन नासा के गॉडडार्ड स्पेस फ्लाइट सेंटर स्थित रिसर्च साइंटिस्ट हिरेन जेठवा ने बताया कि मध्य भारत में आग के ऐसे निशान दिखने की वजह जंगलों की आग नहीं है बल्कि फसलों के अवशेष जलाया जाना है।
कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि फसलों के अवशेष जलाने का प्रचलन इसलिए तेजी से बढ़ रहा है क्योंकि किसान अब फसलों की कटाई मशीनों से करने लगे हैं और इसके चलते खेत में अवशेष रह जाते हैं। इन्हें खेत से हटाना आसान नहीं होता, ऐसे में किसान उन्हें जलाना आसान समझते हैं। फसलों के अवशेष को जलाने का प्रचलन अब हरियाणा और पंजाब जैसे उत्तरी राज्यों तक ही सीमित नहीं है। धान की पराली को पहले से ही किसान खेतों में जलाते रहे हैं क्योंकि यह पशुओं के लिए चारे के तौर पर अच्छा विकल्प नहीं माना जाता था। लेकिन, अब गेहूं की फसल के अवशेष जलाने का प्रचलन भी जोर पकड़ रहा है।
नासा द्वारा सैटलाइट से ली गई तस्वीरों में जिन राज्यों में आग लगने के निशान नजर आते हैं, वे गेहूं और धान की खेती के लिए जाने जाते हैं। फसल की कटाई के दो तरीके प्रचलित हैं, एक किसान द्वारा खुद फसल काटना और दूसरा मशीनों का इस्तेमाल। लेकिन, लेबर की कमी के चलते मशीनों से फसल काटने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है।

चारे की जरूरत कम होने से बढ़ रहा प्रचलन
फसलों के अवशेषों को जलाने के विषय अध्ययन करने वालीं इंडियन स्कूल ऑफ बिजनस की रिसर्चर रिधिमा गुप्ता ने कहा, ‘मेरा अनुमान है कि देश भर में मशीनों से फसलों की कटाई का प्रचलन बढ़ा है। मैंने अपने शोध के दौरान पाया कि फसलों के अवशेष जलाने का प्रचलन इसलिए तेजी से बढ़ा है क्योंकि मशीनों से फसल काटी जा रही है। किसानों अवशेष जलाने को खुद खेतों से हटाने के मुकाबले सस्ता और आसान मानते हैं। इसके अलावा पशुओं को चारा खिलाने की जरूरत भी कम हो रही है क्योंकि बहुत से किसानों की इसमें रुचि घट रही है। इसके चलते गेहूं की फसल के अवशेष जलाने का प्रचलन भी बढ़ा है।’

मध्य प्रदेश में देखे गए आग के सबसे ज्यादा निशान
गुप्ता ने अपनी रिसर्च के हवाले से बताया कि मजदूरों के जरिए फसलों की कटाई मशीनों से दोगुनी महंगी पड़ती है। रिधिमा के मुताबिक देश में होने वाले कुल कार्बन उत्सर्जन में 14 फीसदी हिस्सा फसलों के अवशेष जलाए जाने से पैदा होता है। तस्वीरों के मुताबिक आग की ऐसे निशान सबसे ज्यादा मध्य प्रदेश में देखे गए हैं। यह राज्य गेहूं और धान की खेती में अग्रणी है। मध्य प्रदेश के ही सीहोर जिले में इस साल 10 किसानों को गेहूं की फसल के अवशेष जलाने पर हिरासत में ले लिया गया था क्योंकि उनकी लगाई आग पड़ोस के खेतों तक भी पहुंच गई थी।

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