भोपाल, मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) ऋषि कुमार शुक्ला ने पुलिस कर्मियों को नसीहत दी है कि सोशल मीडिया पर सेल्फी, फोटो, विचार अथवा प्रतिक्रिया डालने में परहेज बरतें। थाना स्तर पर हर कर्मचारी को गाइडलाइन का पालन करने की हिदायत देते हुए कार्रवाई का डर भी दिखाया गया है। डीजीपी की एडवायजरी वायरल होने के बाद पुलिस महानिरीक्षक मकरंद देउस्कर ने सफाई भी दी कि भ्रम की स्थिति न बने, इसलिए यह निर्देश दिए गए हैं। पुलिस महानिदेशक ने अपनी नसीहतों में स्पष्ट कहा है कि यह देखने में आ रहा है कि पुलिस जैसे अनुशासित विभाग में रहकर भी अधिकारी/कर्मचारी विभिन्ना मुद्दों पर सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर अविवेकपूर्ण टिप्पणी कर रहे हैं। उन्होंने जिक्र किया कि कतिपय पुलिस अफसरों ने फेसबुक, वाट्सएप, टि्वटर, इंस्टाग्राम, यू-ट्यूब एवं ब्लाग सहित सोशल मीडिया के प्लेटफार्म पर अनुचित, अमर्यादित और आपत्तिजनक सामग्री अथवा टिप्पणी पोस्ट की हैं। इनकी वजह से उन पर अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की गई।
यह है नियम : मप्र सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3(1), नियम (9) व (10) में कहा गया है कि शासकीय सेवक ऐसा कोई कार्य नहीं करेगा जो उनके लिए अवांछनीय है, किसी प्रकार की अस्पृश्यता या पक्षपात से संबंधित है अथवा बिना अनुमति मीडिया या किसी ऐसे माध्यम से संबंध रखता हो, जिसमें शासन की नीति की आलोचना हो। पुलिस रेगुलेशन की कंडिका 64 में भी है कि हर पुलिस अधिकारी अनुशासन के लिए समर्पित रहेगा।
गाइडलाइन में पुलिसकर्मियों को यह नहीं करने को कहा
– सोशल मीडिया पर शासकीय दस्तावेजों अथवा ऐसी जानकारी शेयर न की जाए, जिसकी गोपनीयता आवश्यक हो।
– कोई ऐसी टिप्पणी या फोटो सामग्री जो दुर्भावनापूर्ण, अश्लील, जाति, धर्म, लिंग अथवा किसी वर्ग के साथ पक्षपात प्रदर्शित करती हो। उस पर प्रतिक्रिया के बजाय ऐसी जानकारी अपने वरिष्ठ अफसर को बताएं।
– फेसबुक, वाट्सएप अथवा अन्य किसी सोशल मीडिया पर फर्जी नाम से अपना प्रोफाइल अथवा पेज न बनाएं। किसी प्रकार की आपत्तिजनक सामग्री पोस्ट व शेयर न करें।
– विशिष्ट अथवा अतिविशिष्ट व्यक्तियों की सुरक्षा के दौरान ड्यूटी में तैनात अधिकारी-कर्मचारी महत्वपूर्ण स्थलों के ऐसे फोटो अथवा सेल्फी न डालें जो सुरक्षा के लिए खतरा बन जाए।
– वाट्सएप समूह आदि पर अपनी ओर से टिप्पणी या फिर किसी पोस्ट का समर्थन करने में अति उत्साह न दिखाएं।