इंदौर । आपके शहर की सड़कें पूरे समय इतनी चकाचक कैसे रहती हैं? जापान में लोग सड़कों पर सिगरेट के हजारों टुकड़े और कागज फेंकते हैं, जिससे सड़कें काफी गंदी रहती हैं। वहां सड़कों के साथ लोग ग्रीन बेल्ट पर भी इसी तरह का कचरा फैलाते हैं। हम इस समस्या से परेशान हैं, लेकिन इंदौर में कहीं ये सब नजर नहीं आया। आपने यह कठिन लक्ष्य कैसे पाया? संयुक्त राष्ट्र (यूनाइटेड नेशंस) की आठवीं ‘रीजनल थ्री आर फोरम इन एशिया एंड द पेसिफिक’ कॉन्फ्रेंस में शामिल होने आए जापानी दल में शामिल पर्यावरण मंत्री टाडाहिको ईटो ने यह सवाल मंगलवार को नगर निगम इंदौर के अफसरों से किया।
दल के सदस्य इंदौर की सड़कों की साफ-सफाई देखकर चकित थे। शहर के अफसरों ने उनसे पूछा कि वहां वे सड़कों की सफाई कब कराते हैं। जापानी दल ने बताया कि वहां की सड़कों पर सुबह पांच से आठ बजे तक मैकेनाइज्ड रोड स्विपिंग की जाती है। निगम अफसरों ने बताया कि इंदौर में 24 घंटे सातों दिन सफाई होती रहती है और सड़कों पर फैला कचरा लगातार साफ किया जाता है। यहां रोड स्विपिंग मशीन रात 10.30 से सुबह छह बजे तक सफाई करती है।
सुबह छह बजे से निगम के सफाईकर्मी मैदान में आ जाते हैं। बड़ी सड़कों पर बार-बार सफाई होती है। यही कारण है कि इंदौर की सड़कें हमेशा साफ-सुथरी रहती हैं। जो व्यक्ति कचरा फैलाता है, उस पर तगड़ा फाइन किया जाता है। इसी सख्ती के कारण अब यहां लोगों की आदत बदल गई है। लिटरबिन भी लगातार खाली की जाती हैं।
इंदौर में आकर सीखा यह पाठ : निगम अफसरों के जवाब के बाद जापानी दल के सदस्यों ने कहा कि वेस्ट सेग्रिगेशन तो जापान के शहरों में 16 से लेकर 20 तरीके का होता है लेकिन सड़कों की सफाई का पाठ हमने इंदौर आकर सीखा है। इस मामले में इंदौर का अनुसरण कर वहां के शहरों में ऐसी सफाई व्यवस्था अपनाई जाएगी।
खराब मोबाइल फोन से बनेंगे जापान ओलिंपिक के मेडल
जापान के पर्यावरण राज्यमंत्री टाडाहिको ईटो ने भरोसा दिया कि जापान भारत को थ्री-आर की दिशा में काम करने के लिए तकनीक, संसाधन और विशेषज्ञों का सहयोग देगा। जापान स्वच्छ भारत मिशन के क्रियान्वयन में भी मदद करेगा। ईटो बोले भारत और जापान के सतत विकास मूल्य और थ्री-आर सिद्धांत एक समान हैं। इनके क्रियान्वयन में जापान की विशेषज्ञता भारत के बहुत काम आएगी। जापान सरकार लोगों से अपील करके उनसे पुराने मोबाइल फोन और धातुओं से बनी खराब वस्तुएं दान में ले रही है।
उनसे 2020 में जापान में होने वाले ओलिंपिक खेलों के मेडल बनाए जाएंगे। हम अब तक थ्री-आर की बात करते हैं लेकिन भारत के प्रधानमंत्री ने सिक्स-आर की बात कही है जिसका हम स्वागत करते हैं। इसका आधार इंदौर में हो रही कॉन्फ्रेंस में तैयार किया जाएगा। कॉन्फ्रेंस के जो सतत गोल तय किए गए हैं, उन्हें पाने के लिए जापान भारत के साथ मिलकर काम करेगा। हम एशिया को और हरा-भरा बनाने का काम शुरू करेंगे। उन्होंने कहा मैंने सुना था कि इंदौर भारत का सबसे साफ-सुथरा शहर है। यहां मैं जैसे ही उतरा, तब से अब तक कहीं भी कचरा फैला नहीं देखा।
2030 तक शहरों में आ जाएगी 80 प्रतिशत आबादी
यूनाइटेड नेशंस (यूएन) की आर्थिक मामलों की अधिकारी बिरगिटे ब्रैल्ड ने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार 2030 तक 80 प्रतिशत आबादी शहरों में रहने लगेगी। 2050 तक हम इतना प्लास्टिक पैदा कर चुके होंगे कि वह समुद्र के बराबर हो जाएगा। इन सब स्थितियों को देखते हुए थ्री-आर पर काम करना बहुत जरूरी है। यूएन इसमें जितनी भी मदद हो सकेगी, वह देगा। हमें अब रिड्यूस, रिसाइकिल और रियूज पर काम करना ही होगा। बच्चों को इस बारे में बेहतर तरीके से समझाएं और बताएं। आज हम जो उन्हें देंगे, कल हमें वे वही चीजें लौटाएंगे। इन सब विषयों पर यूएन भारत ही नहीं, विश्व के दूसरे देशों में भी काम कर रहा है। सारे प्रयास कोई जबर्दस्ती नहीं, बल्कि स्वेच्छा और सहमति से बदलाव लाकर करवाए जा रहे हैं। यूएन ने थ्री-आर को लेकर शुरुआत की है और उसे विश्व के लोगों को अंजाम देना होगा। मानसिकता बदलना पहला जरूरी काम है क्योंकि इसके बगैर बदलाव लाना मुश्किल है। विभिन्ना राष्ट्रों की सरकारों को लोगों के व्यवहार में परिवर्तन लाने के प्रयास पूरी ताकत से करना होंगे।
2019 तक भारत पूरी तरह होगा साफ
केंद्रीय शहरी विकास मंत्रालय के सचिव दुर्गाशंकर मिश्रा ने बताया कि 2 अक्टूबर 2014 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन लॉन्च किया था। अब तक देश के 2000 शहर खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) हो चुके हैं। 2019 तक भारत पूरी तरह साफ देश होगा। प्रधानमंत्री ने थ्री के बजाय सिक्स-आर की दिशा में काम करने का सुझाव दिया है और इसमें वेस्ट रिड्यूस, रिसाइकिल, रियूज के साथ रिमैन्यूफैक्चर, रिडिजाइन और रिकवर को जोड़ा है। केंद्रीय सचिव ने उम्मीद जताई कि 45 देशों के 300 से ज्यादा प्रतिनिधियों के लिए यह कॉन्फ्रेंस उपयोगी साबित होगी।
2035 तक दोगुना होगा कचरा उत्सर्जन
प्रतिभागियों का होलकरों की नगरी में स्वागत करते हुए प्रदेश की नगरीय विकास और आवास मंत्री माया सिंह ने कहा मध्यप्रदेश के इंदौर में इस अंतरराष्ट्रीय कॉन्फ्रेंस का होना यह प्रमाणित करता है कि हमने सफाई के लिए सकारात्मक प्रयास किए हैं। स्वच्छ भारत मिशन थ्री-आर फोरम के उद्देश्यों से जुड़ा कार्यक्रम है। यह सफल रहा तो हम आने वाली पीढ़ियों को साफ पानी, हवा और स्वच्छ जीवन देने में कामयाब होंगे। अभी हर साल 1.5 अरब टन कचरा पैदा होता है जो हर साल चार प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है।
2035 तक वर्तमान से दोगुना ज्यादा कचरा पैदा होने लगेगा। नई दिल्ली में कचरे के पहाड़ का गिरना और मुंबई में जमीन खिसकने जैसी घटनाएं इस खतरे की ओर इशारा करती हैं। थ्री-आर को लेकर अब गंभीरता से काम करने का वक्त है। हम जो योजनाएं बनाएं, उन्हें आगामी 50 साल को देखते हुए बनाएं। वेस्ट मैनेजमेंट एक समस्या नहीं, चुनौती है। मध्यप्रदेश इस दिशा में बेहद संजीदगी से काम कर रहा है और इसका अनुसरण देश के दूसरे शहर कर रहे हैं। यहां 26 बड़े क्लस्टर बनाकर कचरे से खाद बनाने के प्लांट लगाए जा रहे हैं। इससे 3866 मीटरिक टन कचरा रिसाइकिल होगा। जबलपुर में कचरे से बिजली बनाना, कटनी में वेस्ट से कंपोस्ट बनाना, इंदौर का वेस्ट मैनेजमेंट और भोपाल का कबाड़ से जुगाड़ कार्यक्रम काफी लोकप्रिय हुआ है।
थ्री-आर से संबद्ध नृत्य समारोह ने मेहमानों को लुभाया
कॉन्फ्रेंस की शुरुआत में मेहमानों को थ्री-आर पर आधारित नृत्य समारोह ने लुभाया। इसमें इंदौर की ख्यात नृत्यांगना रागिनी मक्खर और पद्मश्री गीता चंद्रन आदि ने बेहतरीन प्रस्तुतियां दीं। कई मेहमानों ने इस समारोह को अपने मोबाइल कैमरों में कैद किया। कलाकारों को अतिथियों की खूब दाद मिली।
अभी रिसाइकिल के लिए भारत भेजते हैं पेपर व प्लास्टिक
भूटान छोटा देश है, हमारे पास संसाधन और लैंडफिल क्षेत्र कम है। इस वजह से अभी हम प्लास्टिक, पेपर और मेटलिक वेस्ट रिसाइकिल के लिए भारत भेजते हैं। इसमें हमारा पैसा भी ज्यादा खर्च होता है। अब हम अपने देश में ही वेस्ट रिसाइकिल तकनीक का उपयोग करने व प्लांट लगाने पर जोर दे रहे हैं।
दोरजी चोडेन, मिनिस्ट्री ऑफ वेस्ट एंड ह्यूमन सैटलमेंट, भूटान
20 हजार परिवार किचन वेस्ट से उगा रहे सब्जियां
करीब 20 साल पहले वहां के घरों के किचन में कार्ड बोर्ड से बने बॉक्स में घरेलू सब्जियों, बचे हुए भोजन आदि कचरे का उपयोग कर सब्जियां उगाने का प्रयोग शुरू किया गया। आज जापान के होकोका शहर के करीब 20 हजार परिवार इसी तरीके से न सिर्फ अपने उपयोग की सब्जी उगाते हैं, बल्कि उसे बेचकर कमाई भी कर रहे हैं।
युईको तायरा, सीईओ (एनजीओ जून नामा केन, टोक्यो)
जो वेस्ट नहीं देता, उस पर लगाते हैं जुर्माना
मलेशिया में वेस्ट मैनेमेंट के लिए कड़े कानून हैं। वहां पर सप्ताह में दो दिन घरेलू कचरा और एक दिन रिसाइकिल होने वाला कचरा एकत्र किया जाता है। इसके लिए वहां के लोगों से 100 से 300 मलेशियन डॉलर लिए जाते हैं। जो व्यक्ति लंबे समय तक रिसाइकिल वेस्ट नहीं देता है, उस पर उसके पास मौजूद कचरे के हिसाब से 10 हजार मलेशियन डॉलर जितना जुर्माना भी लगाया जाता है।
फातिमा बिंती हज अहमद, स्टेट डायरेक्टर (सॉलिड वेस्ट पब्लिक क्लिनिंग मैनेजमेंट कॉर्पोरेशन, मलेशिया)
मलेशिया की मौजूदा लैंडफिल एक साल में कचरे से भर जाएगी
मलेशिया में जितना कचरा उत्पन्न हो रहा है, उससे मौजूदा लैंडफिल एक साल में भर जाएगी। नई लैंडफिल के लिए अभी जगह नहीं है। ऐसे में वेस्ट को रिसाइकिल करना ही एकमात्र उपाय है। इस कॉन्फें्रस में वेस्ट रिसाइकिल के तरीके जानने आई हूं।
गीतावंशी रामनुथ, असिस्टेंट पर्सनल सेक्रेटरी (मिनिस्ट्री ऑफ सोशल सिक्युरिटी नेशनल सॉलिडेटरी एन्वायर्नमेंट एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट, मॉरीशस)
लैंडफिल खत्म होने से वेस्ट रिसाइकिल तकनीक अपनाने जा रहा रूस
रूस में में ज्यादातर लैंडफिल साइट में कचरा भर चुका है। ये लैंडफिल शहरी क्षेत्र के समीप भी बनाई जा सकती हैं, लेकिन अब जगह भी उपलब्ध नहीं है। ऐसे में हमारे देश को वेस्ट रिसाइकिल के तरीके से काफी फायदा हो सकता है। अभी हमारे यहां के उद्योगों का आधा वेस्ट ही रिसाइकिल हो रहा है। इस कॉफ्रेंस से वेस्ट रिसाइकिलिंग के नए-नए तरीके जानने में मदद मिलेगी। इसका उपयोग अपने देश में कर सकेंगे।
आना, वैज्ञानिक (रूस)
मुंबई में भी होटलों के वेस्ट के लिए रखेंगे सेपरेट वाहन
इंदौर का वेस्ट मैनेजमेंट ट्रीटमेंट प्लांट मैंने देखा। यहां पर काफी काम हुआ है। हम भी अपने क्षेत्र में यहां के कुछ प्रयोग लागू करेंगे। इंदौर की तरह हम भी अपने शहर में होटल व नॉनवेज वेस्ट एकत्र करने के लिए सेपरेट गाड़ी की व्यवस्था करेंगे।
डिंपल मेहता, महापौर, मीरा भायंदर महानगर पालिका मुंबई