नोएडा में पहली बार एक कॉल सेंटर का फर्जीवाड़ा पकड़ में आया है, जो अमेरिकियों को चूना लगा रहा था। सेक्टर-59 स्थित इस कॉल सेंटर को चलाने वाला महज 12वीं पास है। इसके संचालक समेत 23 आरोपियों को पुलिस ने पकड़ा है। ये लोग शॉर्ट टर्म लोन दिलवाने का झांसा देते, बदले में फाइल चार्ज और एक किस्त अडवांस में लेने के नाम पर ठगी करते थे। यह जांच चल रही है कि फर्जीवाड़ा कितना बड़ा है और कितने लोगों को नुकसान हुआ है।
डेढ़ महीने से कर रहा था ठगी
पुलिस के अनुसार, नागौर (राजस्थान) का रहने वाला 12वीं पास भवानी सिंह बंजारा करीब दो महीने से नोएडा के सेक्टर-37 में रह रहा था। इससे पहले उसने करीब छह महीने गुड़गांव में एक कॉल सेंटर पर काम किया था। वहीं पर उसे फर्जीवाड़े का आइडिया मिला। हालांकि, उस कॉल सेंटर का भंडाफोड़ हो गया था। उस वक्त भवानी सिंह छुट्टी पर राजस्थान गया था। इसकी वजह से पुलिस की पकड़ से बच गया। इसके बाद उसने नोएडा आकर डेढ़ महीने पहले सेक्टर-59 में किराये पर ऑफिस और कंप्यूटर समेत अन्य सामान लेकर कॉल सेंटर खोल लिया। पूरा सेटअप लगाने में शंभू नाम के शख्स ने तकनीकी तौर पर उसकी मदद की।
22 कर्मचारियों को दी नौकरी
भवानी सिंह ने कॉल सेंटर पर काम करने के लिए 22 कर्मचारी को रखा। हर कर्मचारी को छह हजार डॉलर महीने का टारगेट दिया गया था। ऑनलाइन मर्चेंट से भवानी सिंह ने पांच हजार रुपये में यूएस नागरिकों का लैंडलाइन नंबरों का डेटा हासिल कर रखा था। उन नंबरों पर ऑटो डायलर सॉफ्टवेयर की मदद से शॉर्ट टर्म लोन दिलवाने के वॉयस मेसेज भेजे जाते थे। लोन लेने के लिए एक टोल फ्री नंबर पर कॉल करने के लिए कहा जाता था, जो इनके कॉल सेंटर पर ड्रॉप होती थी।
यूएस में रखा था एजेंट
एसएसपी डॉ. अजय पाल शर्मा ने बताया कि टोल फ्री नंबर पर कॉल करने पर ये लोग उन्हें 150 डॉलर तक का लोन दिलवाने का झांसा देते थे। इसके बदले 200 डॉलर छह महीने की किस्त में लौटाने को कहा जाता था। इसकी एवज में फाइल चार्ज व पहली किस्त एडवांस में लेने का झांसा देते थे। डील फाइनल होने पर उतनी रकम का आई ट्यून कार्ड खरीदकर उसका 16 डिजिट का पिन नंबर बताने को कहा जाता था। पिन नंबर लेकर यूएस में एजेंट को कमीशन देकर बाकी पैसा ये लोग ले लेते थे। इस काम में विनय नाम का शख्स इनकी मदद करता था।
सीपीयू की हो रही है जांच
पूछताछ में इन्होंने बताया है कि इस पेमेंट में हवाला नेटवर्क का इस्तेमाल होता है, जिसके बारे में जांच की जा रही है। आरोपितों ने अब तक कितने लोगों से कितना फ्रॉड किया है, इस बारे में पता लगाने के लिए इनके पास से मिले कंप्यूटर की सीपीयू का डेटा हासिल किया जा रहा है। सोमवार रात को छापा मारकर सेक्टर-49 पुलिस ने कॉल सेंटर से आरोपितों की गिरफ्तारी के साथ ही 23 कंप्यूटर सीपीयू, मोबाइल फोन और 12 डेबिट कार्ड बरामद किए हैं।
क्या है आई ट्यून कार्ड
यह एपल का प्रीपेड कार्ड होता है। इसे आई ट्यून्स स्टोर, ऐप स्टोर, आई बुक्स स्टोर से खरीददारी और एपल म्यूजिक मेंबरशिप के लिए इस्तेमाल किया जाता है। यह कार्ड अलग-अलग डॉलर की कीमत में आते हैं, जिनका पिन डालकर रिडीम किया जाता है। हालांकि आई ट्यून कार्ड का इस तरह के फर्जीवाड़े में खूब इस्तेमाल किया जाता है, जिस पर एपल की तरफ से एडवाइजरी भी जारी की जा चुकी है।