भोपाल ।   मुख्य सचिव श्री आर. परशुराम ने कहा है कि प्रदेश के कृषि परिदृश्य को और बेहतर बनाने के लिए मिले-जुले प्रयास बढ़ाने की आवश्यकता है। किसानों को नवीन कृषि पद्धतियों में दक्ष बनाने के लिए उनसे सतत् संवाद और संपर्क बढ़ाना होगा। कृषि विभाग और सहयोगी संस्थाओं की संयुक्त रणनीति प्रासंगिक होने के साथ ही किसानों की जरूरत के मुताबिक होना चाहिए।

मुख्य सचिव आज कृषि विज्ञान केंद्र और आत्मा परियोजना की दो दिवसीय संयुक्त बैठक को संबोधित कर रहे थे। बैठक कृषि विकास दर बढ़ाने की रणनीति पर सघन विचार-विमर्श के लिए की गई।

मुख्य सचिव ने कहा कि वर्तमान संदर्भों में कारगर उपायों को लागू कर किसानों के कल्याण को अधिक प्रभावी ढंग से अंजाम दिया जाए। मुख्य सचिव ने पारंपरिक कृषि के साथ उद्यानिकी और पशुपालन जैसी अंतर्सबंधी गतिविधियों को प्रोत्साहित करने के लिये विभिन्न एजेंसियों के संयुक्त प्रयासों को जस्र्री बताया। मुख्य सचिव ने कहा कि कृषि पर निर्भर लोगों की संख्या में कमी नहीं आई है, इसके बावजूद कृषि और संबंधित कार्यों को अधिक लाभकारी बनाने की कोशिशें निरंतर होना चाहिए। श्री परशुराम ने कहा कि कृषक प्रशिक्षण के मौजूदा स्वरूप में भी परिवर्तन होना चाहिए। मुख्य सचिव ने प्रदेश द्वारा राष्ट्रीय स्तर पर कृषि क्षेत्र में प्रतिष्ठित पुरस्कार हासिल करने के साथ ही प्रदेश में किसानों को बिना ब्याज ऋण प्रदान करने और 85 प्रतिशत ऋण वसूली की उपलब्धियों को उल्लेखनीय बताया। उन्होंने बीज समितियों को सशक्त बनाने और उत्पादकता वृद्धि के लिए भी रणनीतिक शैली में कार्य करने को कहा। प्रारंभ में मुख्य सचिव का पुष्प-गुच्छ से स्वागत किया गया।

कृषि उत्पादन आयुक्त श्री एम.एम. उपाध्याय ने कहा कि कृषि तकनीक को मैदानी स्तर तक लाने का दायित्व आत्मा (एग्रीकल्चर टेक्नालॉजी मैनेजमेंट एजेंसी) का है । कृषि विज्ञान केंद्र इसमें महत्वपूर्ण सहयोगी के रूप में कार्य करते हैं। प्रदेश में ढाई लाख किसान तक उपयोगी कृषि विधियों की जानकारी पहुँचाने की पहल हुई है।

जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर के कुलपति डॉ एस.एस. तोमर, राजमाता विजयाराजे सिंधिया कृषि विश्वविद्यालय ग्वालियर के कुलपति डॉ ए.के. सिंह, प्रमुख सचिव किसान-कल्याण एवं कृषि विकास श्री आर.के. स्वाई, उद्यानिकी आयुक्त श्री अनुराग श्रीवास्तव और मनरेगा आयुक्त डॉ. रविन्द्र पस्तोर ने भी अपने विचार व्यक्त किए। बैठक में प्रदेश के विभिन्न जिलों के कृषि उप संचालक, उप संचालक कृषि (आत्मा) और कृषि विज्ञान केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक आदि उपस्थित थे।

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