कहा जाता है कि स्टूडेंट किसी भी समाज की वो नींव होते हैं जिसके उपर देश का भविष्य टिका होता है छात्र भी अपनी इस अहम जिम्मेदारी को बखूबी समझते हैं और अपना फोकस पढ़ाई पर रखते हुए अच्छे मार्क्स लाने में जुटे रहते हैं। सीबीएसई की परीक्षायें काफी अहम होती स्टूडेंट इसको लेकर खासी गंभीरता से पढ़ाई करते हैं ना सिर्फ स्टूडेंट बल्कि उनके पेरेंट्स भी इस कवायद में उनके साथ जुटे रहते हैं।CBSE की परीक्षाओं में अच्छे मार्क्स लाना छात्रों के लिए खासा चुनौतीपूर्ण होता है और इसके लिए वो शिड्यूल बनाकर जमकर मेहनत करते हैं क्योंकि अच्छे मार्क्स के बेसिस पर ही उनका आगे का करियर बनता है।
मार्क्स की होड़ छात्रों के बीच जबर्दस्त होती है और हर छात्र अपने साथी छात्रों से आगे निकलने में लगा रहता है। इतनी कड़ी मेहनत और दबाब के बीच पढ़ाई करने के बाद जब स्टूडेंट्स एक्जाम देने जाते हैं ताकि बेहतर रिजल्ट आए।मगर क्या हो जब सिस्टम की खामी के चलते पता लगता है कि पेपर लीक हो गया है और लोगों के बीच सर्कुलेट हो रहा है सोचिए क्या बीतती होगी उस छात्र पर जो रात दिन की कड़ी पढ़ाई करके एक्जाम देने जाता है, वो हक्का बक्का रह जाता है जब उसे पता लगता है कि चंद पैसे के लालचियों के नीच काम के चलते उनको दोबारा से परीक्षा देनी होगी। मुश्किल में वे छात्र हैं जो परीक्षा देने के बाद राहत की सांस ले रहे थे अब उन्हें नए सिरे से परीक्षा की तैयारी करनी होगी।
मैथ और इकॉनामिक्स की परीक्षा दे चुके छात्रों की नींद इस पेपर लीक मामले ने उड़ा दी है। छात्रों ने काफी मेहनत से अपनी परीक्षा की तैयारी की थी अब उन्हें पता चला है कि उन्हें दोबारा से पेपर देना होगा। जरा सोचिए उन बच्चों के ऊपर क्या गुजर रही होगी जो परीक्षा देने के बाद राहत की सांस ले रहे थे। उनके मनोविज्ञान पर इसका क्या असर पड़ेगा? अब उन्हें एक बार फिर से परीक्षा की तैयारी नए सिरे से करनी होगी।
एक पेपर लीक हो जाने के बाद दूसरी बार पेपर देना एक स्टूडेंट के लिए आसान होता है, उसे काफी तनाव में गुजरना पड़ता है। इस सबके बीच मजबूरन इसका विरोध करने के लिए छात्र और उनके पेरेंट्स सड़कों पर उतर आते हैं और जिन हाथों में किताब और कॉपी होनी चाहिए उनके हाथ में विरोध की तख्तियां होती हैं। छात्र आक्रोशित हैं उनका सिस्टम से बड़ा ही ईमानदार सवाल होता है-
हाथों में तख्तियां थामे इन छात्रों ने बताया कि दोबारा परीक्षा की खबर के बाद उन्हें बहुत तनाव का सामना करना पड़ा। कई छात्रों ने दावा किया कि परीक्षाओं से एक दिन पहले ही लगभग सभी प्रश्नपत्र लीक हो गए थे और उन्होंने मांग की कि अगर दोबारा परीक्षा होती है तो यह सभी विषयों की होनी चाहिए। गौरतलब है कि 10वीं का मैथ का पेपर 28 मार्च को हुआ, जबकि 12वीं क्लास का इकोनॉमिक्स का पेपर 26 मार्च को हुआ था। दोनों पेपर कथित रूप से वॉट्सअप पर लीक हो गए। पेपर लीक होने से छात्रों और अभिभावकों को भारी मानसिक परेशानी के दौर से गुजरना पड़ रहा है।
पेपर लीक होने की घटना को लेकर छात्रों,अभिभावकों में काफी रोष है। सीबीएसई पेपर लीक मामले में छात्र केंद्र सरकार और सीबीएसई के खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन कर रहे है। 10वीं और 12वीं के छात्रों के साथ-साथ उनके माता-पिता भी इस विरोध प्रदर्शन में शामिल है। छात्रों का कहना है सीबीएसई की गलतियों का परिणाम छात्रों का भुगतना पड़ रहा है। छात्रों केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार और सीबीएसई के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी कर रहे हैं।स्कूली छात्रों ने दिल्ली के जंतर मंतर में विरोध प्रदर्शन किया।
इस विरोध प्रदर्शन में छात्रों का कहना था कि केंद्र सरकार और सीबीएसई बोर्ड से सभी एग्जामों का रि-एग्जामिनेशन ले। सीबीएसई पेपर लीक मामले में छात्रों का कहना है कि गणित और अर्थशास्त्र के अलावा भी बहुत से एग्जाम्स ऐसे थे जिनके प्रश्न पत्र पहले ही लीक हो गए थे।अब यह मामला कोर्ट में पहुंचाने की तैयारी की जा रही है। ऑल इंडिया पैरेंट्स एसोसिएशन दिल्ली हाईकोर्ट में इसे लेकर याचिका दायर करने जा रहा है इसमें मामले की जांच अदालत की निगरानी में कराने की मांग की जाएगी। याचिका में सीबीएसई को निर्देशित करने की मांग की जाएगी कि दोबारा परीक्षाओं के लिए बोर्ड अंक देने में उदार रवैया अपनाए।
इस पूरे मामले में सीबीएसई परीक्षा तंत्र से जुड़े लोगों की भूमिका भी सवालों के घेरे में है क्योंकि बिना उनकी मिलीभगत के पेपर लीक नहीं हो सकता था। सरकार को पेपर लीक मामले में कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है। क्योंकि पेपर लीक कराने के धंधे से जुड़े लोगों के मन में कानून का डर नहीं है या वे ढीले-ढाले कानूनों को फायदा उठाते हैं और सोचते हैं कि वे जल्दी छूट जाएंगे। इस पेपर लीक कांड से कई सवाल खड़े हुए हैं। इस घटना ने सीबीएसई को सवालों के घेरे में खड़ा किया है क्योंकि परीक्षा तंत्र से जुड़े व्यक्ति की मिलीभगत के बिना पेपर लीक होना संभव नहीं है। बड़ा सवाल है कि सवाल है कि छात्रों को एक ईमानदार परीक्षा व्यवस्था कब मिलेगी?