नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर मांग की गई है कि देश के प्रत्येक नागरिक के लिए अपनी सभी सम्पत्तियों (चल-अचल) को आधार नंबर से लिंक करवाना अनिवार्य किया जाए।

सुप्रीम कोर्ट के वकील अश्विनी उपाध्याय की मांग है कि सर्वोच्च अदालत इस बारे में केंद्र सरकार को आदेशित करे। बकौल अश्विनी, जमीन-जायदाद ही नहीं, बाइक-कार और ज्वेलरी जैसी चीजों को भी आधार से लिंक करवाना बेहद जरूरी है। ऐसा करने पर ही देश से भ्रष्टाचार पूरी तरह मिट पाएगा।

याचिकाकर्ता का कहना है कि सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार बेनामी सम्पत्तियों को लेकर हो रहा है। यदि सुप्रीम कोर्ट इस आशय का आदेश जारी करता है और केंद्र सरकार भी सख्त कानून बनाकर अमल में लाती है तो यह एक क्रांतिकारी कदम होगा।

चुनाव व्यवस्था में बदलाव की मांग

अश्विनी उपाध्याय ने अपनी इस याचिका में यह मांग भी की है कि देश में चुनाव आधार कार्ड से करवाए जाएं। चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा, जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस डीवाय चंद्रचुड़ ने सुनवाई के लिए याचिका स्वीकार कर ली है।

आधार से इस तरह होगी वोटिंग

– याचिका में पूरी प्रक्रिया का जिक्र भी किया गया है।

– पहले चरण में मतदाता पोलिंग बूथ पर जाएगा और अपनी बारी का इंतजार करेगा।

– नंबर आने पर सबसे पहले उसका फिंगरप्रिंट स्कैन होगा।

– इससे वोटर का पूरा लेखा-जोखा अधिकारियों के सामने आ जाएगा।

– उम्र की पुष्टि होने और अन्य पात्रताओं पर खरा उतरने पर वह ऑनलाइन वोट कर पाएगा। ईवीएम का इस्तेमाल नहीं होगा।

चुनाव आयोग भी सहमत, होंगे ये फायदे

– याचिका में चुनाव आयोग को भी पक्षकार बनाया गया है। आयोग के अधिकारियों का मानना है कि आधार से लिंक करने पर वोटिंग सिस्टम में सुधार आएगा। फर्जी वोटिंग नहीं हो पाएगी।

– वोटर किसी अन्य स्थान या राज्य से भी मतदान कर पाएगा। कामकाज के सिलसिले में अलग-अलग शहरों में रहने वाले लोगों और सेना के जवानों को इससे फायदा होगा।

…इतना आसान भी नहीं

आधार कार्ड से चुनाव कराने में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। जिसके पास आधार नहीं होगा, वो वोट नहीं कर पाएगा। आधार कार्ड नहीं होने पर आज भी कई गरीबों को सरकारी राशन नहीं मिल रहा है।

इसके अलावा हर मतदान केंद्र पर इंटरनेट और बिजली की पुख्ता व्यवस्था भी अभी के हालात में संभव नहीं लगती। ईवीएम मशीन बैटरी से चलती है, इसलिए बिजली के बिना भी काम हो जाता है। पूरा काम इंटरनेट आधारित होगा, इसलिए हैकिंग का जोखिम भी रहेगा। अभी जितनी वोटिंग मशीनों का दरकार है, उतने फिंगरप्रिंट स्कैनर लगेंगे।

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