खंडवा। खालवा ब्लॉक के 11 गांवों की 500 महिलाओं ने गेती-फावड़े उठाए और 9 जलस्रोतों को गहरा कर दिया। इससे जनवरी में सूख जाने वाले तालाब और कुएं मार्च में भी पानी से भरे हुए हैं। क्षेत्र के 10 हजार ग्रामीणों को गर्मी में अब पानी के लिए परेशान नहीं होना पड़ेगा। ग्राम चबूतरा के तालाब में तो इतना पानी है कि वहां मछली पालन शुरू कर दिया गया है। इससे हुई 10 हजार रुपए की पहली आय संभाल कर रखी गई है ताकि श्रमदान करने वालों को जरूरत पढ़ने पर इसमें से आर्थिक मदद दी जा सके। इस वर्ष बारिश में महिलाएं पहाड़ों से बहने वाली छोटी नदियों पर बोरी बंधन कर जल संरक्षण का काम करना जा रही हैं।
यह प्रेरक कहानी है खंडवा से करीब 100 किमी दूर खालवा ब्लॉक के ग्राम चबूतरा और आसपास मौजूद गांवों की। चबूतरा में मार्च 2017 में जलस्रोत सूखने पर पानी के लिए महिलाओं को दूर-दूर तक भटकना पड़ा था। इस पर स्पंदन संस्था की राष्ट्रपति पुरस्कार प्राप्त कार्यकर्ता सीमा प्रकाश ने गांवों की महिलाओं को जलस्रोतों के गहरीकरण के लिए प्रोत्साहित किया।
चबूतरा की 35 वर्षीय बुदियाबाई आगे आईं और फिर एक के बाद एक महिलाएं जुड़ती चली गईं। तालाब का गहरीकरण शुरू होते ही पुरुष भी सहयोग करने आ जुटे। देखते-देखते पास के मीरपुर, फोकटपुरा, जमोदा, मातापुर, मोहन्या ढाना में ग्रामीणों ने कुएं का गहरीकरण का काम हाथ में ले लिया। जामड़ और जमोदा में भी जल्दी ही तालाब को गहरा कर दिया गया। खातेगांव, खोरदा और गुलरढाना के पास से बहने वाली बंगला नदी में भी खुदाई की गई। इन सभी प्रयासों से ग्रामीणों को घरेलू उपयोग के लिए तो पर्याप्त पानी मिल ही रहा है, उनके मवेशियों के लिए पानी की समस्या भी दूर हो गई है।
नीमच में जनसहयोग से 2 साल में 350 से ज्यादा तालाब किए गए गहरे
नीमच। जिले के दो विकासखंड नीमच और जावद भूमिगत जलस्तर के मामले में डार्क जोन में आते हैं। जलसंकट की हालत देख तत्कालीन कलेक्टर रजनीश श्रीवास्तव ने इससे निपटने की योजना तैयार बनाई। उन्होंने 2016 में जनसहयोग से तालाबों और बांधों के गहरीकरण की शुरुआत की। राजस्व, पुलिस और खनिज विभाग की कार्रवाई का भय दूर कर ग्रामीणों को तालाबों के गहरीकरण कार्य से जोड़ा।
अच्छे परिणाम मिलने पर 2017 में भी यह कार्य जारी रखा। परिणामस्वरूप जिले की 239 ग्राम पंचायतों में लगभग 350 से ज्यादा छोटे-बड़े तालाब अब गहरे हो चुके हैं। पिछली बारिश में इन तालाबों में पूर्ण क्षमता से जल संग्रह तो हुआ ही, आसपास के क्षेत्र में भूमिगत जल स्तर में सुर गया। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रभारी मंत्री अर्चना चिटनीस भी इस काम को सराह चुके हैं।