करीब एक साल पहले कश्मीर के बांदीपोरा में आतंकवादियों का मुकाबला करते वक्त नौ गोलियां खाने वाले चेतन कुमार चीता ड्टूटी पर वापस लौट आए हैं। आतंकियों के साथ मुकाबले में चेतन बुरी तरह से घायल हो गए थे, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और मौत को मात देकर एक बार फिर देश की सेवा के लिए आगे आए। खाकी वर्दी पहने, दाहिनी आंख में आई-पैच लगाए हुए चेतन ड्यूटी पर वापस आकर बेहद खुश हैं। इंडिया टुडे के मुताबिक उन्होंने कहा, ‘ड्यूटी पर वापस आकर मुझे गर्व महसूस हो रहा है। मैं बहुत खुश हूं।’ चेतन के मुताबिक खाकी वर्दी उनकी दूसरी त्वचा है। 15 अगस्त को दूसरा सबसे बड़ा गैलेंट्री अवॉर्ड कीर्ति चक्र हासिल करने वाले चीता ने पिछले हफ्ते दिल्ली स्थित सीआरपीएफ के मुख्यालय में ज्वॉइनिंग की है। फिलहाल वह अपनी पोस्टिंग का इंतजार कर रहे हैं।

9 गोलियां खाकर भी मौत को मात देना किसी चमत्कार से कम नहीं है। उनके शरीर को आतंकियों ने 14 फरवरी 2017 के दिन गोलियों से छलनी कर दिया था, लेकिन चीता की हिम्मत के आगे मौत भी हार गई। दरअसल, पिछले साल 14 फरवरी के दिन बांदीपोरा में आर्मी सर्च ऑपरेशन कर रही थी, तभी छिपे हुए आतंकियों ने गोलीबारी शुरू कर दी, लेकिन 45 बटालियन का नेतृत्व कर रहे चेतन इससे जरा भी नहीं घबराए और डट कर आतंकियों का मुकाबला किया। ड्यूटी पर वापस लौटने के बाद चेतन ने कहा, ‘मैं चाहता हूं कि देश के युवा भी देश के लिए अपना 100 फीसदी योगदान दें, यही मैंने भी किया। मैं चाहता तो उस वक्त वहां से भाग भी सकता था, लेकिन मैं डटा रहा और गोलियों का सामना किया।’
चीता का कहना है कि जम्मू कश्मीर में जारी तनाव राजनीतिक इच्छाशक्ति के दम पर ही कम हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘जम्मू कश्मीर में स्थिति को सामान्य होने में अभी समय लगेगा। एक जवान केवल अपना फर्ज निभा सकता है, लेकिन राजनीतिक इच्छाशक्ति ही वहां की स्थिति सुधार सकती है।’ आतंकियों के साथ हुई मुठभेड़ में चेतन ने एक आंख गवां दी और उनका एक हाथ भी बुरी तरह से जख्मी हो गया था। उनके हाथ में संवेदना लौटने में भी काफी वक्त लगा और इसके लिए उन्हें कठिन फिजियोथेरेपी भी करनी पड़ी।

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