नई दिल्ली । आज का संसद सत्र बेहद महत्वपूर्ण होने वाला है। मोदी सरकार के खिलाफ संसद में पहला अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जाने की तैयारी है। वाईएसआर कांग्रेस और तेलुगु देसम पार्टी (टीडीपी) ने केंद्र सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का फैसला किया है। आंध्र प्रदेश की दोनों पार्टियों ने इस संबंध में नोटिस दे रखा है। राज्य को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ यह कदम उठाया जा रहा है। हालांकि इसको लेकर आज भी संसद की कार्यवाही पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस बीच टीडीपी ने अपने सांसदों को व्हिप जारी कर बजट सत्र के अंत तक संसद आने का निर्देश दिया है। आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर छिड़ी नाक की लड़ाई में टीडीपी को राजग का साथ छोड़ना पड़ा है।
टीडीपी सांसद आरएम नायडू ने कहा कि हम संसद में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने जा रहे हैं। सभी पार्टियों की जिम्मेदारी है कि वे हमारा समर्थन करें। ज्यादा से ज्यादा समर्थन जुटाने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बहस हो सके। सरकार की गिराने की कोशिश नहीं कर रहे हैं।
वाईएसआरसीपी सांसद वीएएस रेड्डी ने कहा कि हम आंध्र प्रदेश के विभाजन के बाद पिछले चार साल से विशेष राज्य के दर्जे के लिए लड़ रहे हैं। 2016 तक भाजपा और चंद्रबाबू नायडू कहते रहे हैं कि विशेष राज्य का दर्जा दिया जाएगा। इसके अचानक उन्होंने भाजपा से हाथ मिला लिया। वह एक गिरगिट की तरह हैं, उन्होंने राज्य के खिलाफ फैसला लिया। वहीं टीडीपी और वाईएसआरसीपी के अविश्वास प्रस्ताव पर आंध्र प्रदेश भाजपा प्रमुख के हरिबाबू ने कहा कि भाजपा के पास लोकसभा में पूर्ण बहुमत है। ये सभी पार्टियों एक साथ होकर भी मोदी सरकार को कोई नुकसान नहीं पहुंचा सकती हैं।
शिवसेना से संजय राउत ने कहा कि हम इंतजार करेंगे और देखेंगे। हमें देखना होगा कि अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर की अनुमति मिलती है या नहीं। अविश्वास प्रस्ताव पर हमने कोई फैसला नहीं किया है, इस बारे में उद्धव जी फैसला करेंगे। गौरतलब है कि टीडीपी के लोकसभा में 16 सदस्य हैं, जबकि वाईएसआर कांग्रेस के नौ सदस्य हैं। दोनों दल विपक्षी पार्टियों से अपने-अपने नोटिस के समर्थन के लिए लामबंद करने में जुटे हुए हैं। सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश करने के लिए किसी भी नोटिस को कम से कम 50 सांसदों के समर्थन की जरूरत होती है।