बाबा रामदेव की कंपनी पतंजलि आयुर्वेद इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) लीग में विज्ञापन नहीं देगी। कंपनी का मानना है कि क्रिकेट और खासतौर पर आईपीएल विदेशी खेल है। पतंजलि के सीईओ आचार्य बालकृष्ण ने बताया, ‘आईपीएल जैसे खेल उपभोक्तावाद को बढ़ावा देते हैं और बहुराष्ट्रीय कंपनियां इन्हें स्पॉन्सर करती हैं। पतंजलि कबड्डी और कुश्ती जैसे देसी खेलों से जुड़े आयोजनों में अपने प्रॉडक्ट्स का प्रचार करेगी और उन्हें इस तरह से बढ़ावा देगी।’
आईपीएल क्रिकेट का सबसे आकर्षक और अमीर अंतरराष्ट्रीय टूर्नमेंट है। टी-20 लीग देश में 15 दिनों में शुरू होने जा रही है। पतंजलि देश की उन एफएमसीजी कंपनियों में से है, जो विज्ञापन पर काफी पैसा खर्च करती हैं। विज्ञापन का इसका सालाना बजट 570-600 करोड़ रुपये है। मुख्यधारा के मीडिया में विज्ञापन के साथ पतंजलि डिजिटल और सोशल मीडिया पर भी काफी ऐड दे रही है। यह पतंजलि की ताकत है, जिसके चलते भारत में बहुराष्ट्रीय कंपनियों को आयुर्वेदिक प्रॉडक्ट्स उतारने पड़े।
पिछले साल पतंजलि ने प्रो-रेसलिंग लीग को स्पॉन्सर किया था। रामदेव की कंपनी दो साल पहले कबड्डी वर्ल्ड कप की को-स्पॉन्सर भी थी। बालकृष्ण ने बताया कि हम भारतीय खेलों में निवेश जारी रखेंगे। ऐसे खेल, जो देश की संस्कृति का प्रचार करते हों। पतंजलि दुनिया की जानी-मानी ई-कॉमर्स कंपनी ऐमजॉन पर भी प्रॉडक्ट्स बेचती है। पतंजलि के इस फैसले पर देश के बड़े कम्युनिकेशन ग्रुप मैडिसन वर्ल्ड के प्रजिडेंट ने कहा, ‘क्रिकेट को विदेशी खेल कहना गलत होगा। ना ही आप भारतीय क्रिकेट बोर्ड (बीसीसीआई) को विदेशी बता सकते हैं।’
इससे पहले स्टार इंडिया ने 16,435.5 करोड़ में आईपीएल के 5 साल के मीडिया राइट्स हासिल किए थे, जिसकी शुरुआत 2018 से हो रही है। स्टार को अब तक 34 ऐडवर्टाइजर्स मिल चुके हैं, जिनमें वीवो, कोका कोला, एशियन पेंट्स, फोर्ड, पारले फूड प्रॉडक्ट्स और रिलायंस जियो शामिल हैं। आईपीएल भारत में बेहद लोकप्रिय है। ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल (BARC) के मुताबिक साल 2017 में आईपीएल की व्यूअरशिप 22.5 पर्सेंट बढ़ी थी। पिछले सीजन में लीग को 41.1 करोड़ दर्शक मिले थे।
बाबा रामदेव की पतंजलि ने अगले साल तक देश की सबसे बड़ी कन्ज्यूमर गुड्स कंपनी हिंदुस्तान यूनिलीवर (एचयूएल) से आगे निकलने का लक्ष्य तय किया है। पतंजलि शैंपू से लेकर टूथपेस्ट और नूडल्स और पैकेज्ड वॉटर बेचती है। वित्त वर्ष 2017 में कंपनी की सेल्स 10,561 करोड़ रुपये थी, जो हिंदुस्तान लीवर की एक तिहाई थी। वित्त वर्ष 2012 में पतंजलि की आमदनी 453 करोड़ रुपये थी, जो 2017 तक 20 गुना की बढ़ोतरी के साथ 10,561 करोड़ रुपये हो गई थी।