वित्तीय संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी मामले में आरोपी भारतीय शराब कारोबारी विजय माल्या शुक्रवार को ब्रिटेन की एक अदालत में पेश हुए. वो यहां अपने खिलाफ चल रहे प्रत्यपर्ण मामले की सुनवाई के सिलसिले में पेश हुए.
सुनवाई के दौरान ब्रिटेन की न्यायाधीश ने कहा कि माल्या की किंगफिशर एयरलाइंस को कर्ज देने में कुछ भारतीय बैंकों ने नियम तोड़े और यह बात ‘बंद आंख से भी’ दिखती है.
लंदन की वेस्टमिंस्टर मजिस्ट्रेट अदालत की न्यायाधीश एम्मा आर्बथनॉट ने पूरे मामले को ‘खांचे जोड़ने वाली पहेली’ (जिग्सॉ पजल) की तरह बताया. अदालत ने कहा कि इस मामले में ‘भारी तादाद’ में सबूतों को आपस में जोड़कर तस्वीर बनानी होगी. उन्होंने कहा कि अब वह इसे कुछ महीने पहले की तुलना में ज्यादा स्पष्ट तौर पर देख पा रही हैं.
उन्होंने कहा, ‘यह साफ है कि बैंकों ने (कर्ज मंजूर करने में) अपने ही दिशानिर्देशों की अवहेलना की.’ एम्मा ने भारतीय अधिकारियों को इस मामले में शामिल कुछ बैंक कर्मियों पर लगे आरोपों को समझाने के लिए ‘आमंत्रित’ किया और कहा कि यह बात माल्या के खिलाफ ‘षड्यंत्र’ के आरोप की दृष्टि से महत्वपूर्ण है.
उल्लेखनीय है कि 62 वर्षीय माल्या के खिलाफ उन्हें प्रत्यर्पित कर भारत भेजे जाने को लेकर सुनवाई चल रही है. अदालत ने अगर उन्हें भारत भेजने का फैसला लिया तो भारतीय अदालत उनके खिलाफ बैंकों के साथ धोखाधड़ी और मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में सुनवाई कर सकेगी. उनके खिलाफ करीब 9,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और हेराफेरी का आरोप है.
इस मामले में भारत सरकार की पैरवी कर रही स्थानीय अभियोजक क्राउन प्रोसीक्यूशन सर्विस (सीपीएस) ने अदालत में इस संबंध में जमा कराए गए साक्ष्यों को लेकर अपनी दलीलें पेश कीं, क्योंकि माल्या का बचाव कर रही वकील क्लेयर मोंटगोमेरी ने पिछली सुनवाई पर इन सबूतों पर प्रश्नचिन्ह खड़े किए थे.
उम्मीद है कि एम्मा इन सबूतों पर फैसला कर सकती हैं. साथ ही वह अपने अंतिम फैसले के लिए समय भी तय कर सकती हैं. हालांकि, मामले में और अधिक स्पष्टीकरण की मांग किए जाने से फैसला आने में देरी हो सकती है. माल्या दो अप्रैल तक जमानत पर बाहर हैं. भारतीय जांच एजेंसियां वित्तीय संस्थाओं के साथ धोखाधड़ी आदि के मामले में उनका पीछा कर रही हैं.