रीवा। छत्तीसगढ़ के सुकमा में हुए नक्सली हमले के बाद रीवा आईजी के निर्देश पर छत्तीसगढ़ सीमा से लगे सीधी व सिंगरौली सीमा पर सर्चिंग तेज कर दी गई है। आईजी उमेश जोगा ने बताया कि सीमा को सीज कर आने-जाने वालों की चेकिंग के साथ ही जंगल की सर्चिंग भी तेज कर दी गई है।
उन्होंने बताया कि प्रत्येक हमले के बाद आईबी द्वारा अलर्ट घोषित किया जाता है। चूंकि इस समय छग सरकार नक्सलियों को लेकर लगातार कड़े कदम उठा रही हैं। लिहाजा अब नक्सली वहां के जंगल छोड़कर सीमा से लगे अन्य प्रदेशों के जंगलों की ओर मूव कर रहे हैं। 2011 से लेकर 2014 के बीच नक्सली मूवमेंट को लेकर कुल 32 प्रकरण सिंगरौली व सीधी जिले के दो थानों में दर्ज किए गए थे।
तत्कालीन परिस्थिति में उन्हें विस्तार दलम का नाम भी दिया जा रहा था। लेकिन बाद में हुई पड़ताल के बाद नक्सलियों के मूवमेंट पर तो मुहर लगी, लेकिन विस्तार दलम की मीटिंग होने की बात प्रकाश में नहीं आई। लिहाजा सिंगरौली से हॉकफोर्स के जवानों को सिंगरौली से स्थानांतरित कर बालाघाट भेज दिया गया था। बालाघाट जिले की 4 तहसील क्रमश: पारसवाड़ा, लांजी, बैहर व बिरसा नक्सल प्रभावित हैं।
दिलाई ट्रेनिंग, की जा रही सर्चिंग
जिन पुलिस के जवानों को नक्सलियों की सर्चिंग के लिए जंगल में उतारा गया है, उन्हें पहले 15 दिन की ट्रेनिंग दी गई है। साथ ही उन्हें प्राथमिक उपचार, फायरिंग, बम को निष्क्रिय करना भी सिखाया गया। इतना ही नहीं सर्चिंग के दौरान भूमिगत माइंस पर भी नजर रखने की हिदायत दी गई। वहीं मुखबिर तंत्र भी मजबूत किया गया है।
बारूद से रहा है गहरा नाता
नक्सली और विस्फोटक का गहरा नाता रहा है। हमेशा ही माइंस में इस्तेमाल होने वाले बारूद का ही इस्तेमाल नक्सली बड़े विस्फोट में करते हैं। रीवा संभाग सीमेंट कंपनियों का हब होने के साथ ही यहां बारूद के बड़े गोदाम भी स्थित हैं। अगर रीवा की बात करें तो रीवा में हनुमना, सतना में मैहर, सीधी में सीधी एवं सिंगरौली में बैढ़न में बारूद के भंडारण की व्यवस्था की गई। इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता है कि नक्सलियों के निशाने पर सीमेंट कंपनियों व कालरी के विस्फोटक हैं।
डॉग के साथ सर्चिंग
बताया गया है कि जो जवान नक्सल प्रभावित क्षेत्र में लगातार सर्चिंग में जुटे हैं उनके साथ बम निरोधी दस्ता के डॉग को भी लगाया गया है। उक्त डॉग 100 मीटर के पहले ही बारूद की गंध पहचानकर जमीन के अंदर बिछाई गई माईनिंग की ओर इशारा कर देता है।
एक्पर्ट व्यू
नक्सल के जानकार अनीश होता ने बताया कि इन दिनों छग सरकार नक्सली गतिविधियों से निपटने के लिए असरकारक कदम उठा रही है। यही कारण है कि नक्सली घने जंगल की ओर मूव कर रहे हैं। हॉकफोर्स सीआरपीएफ के जवान व सीजी पुलिस लगातार नक्सली गतिविधियों पर नजर रखकर कार्रवाई कर रहे हैं। लिहाजा इस समय नक्सली कमजोर हुए हैं। सार्वधिक नुकसान उन्हें नोटबंदी के दौरान हुआ था। इसके बाद नक्सल की वारदातों में कमी देखी जा रही थी। लेकिन विगत एक माह में छत्तीसगढ़ के अंदर यह 7वीं वारदात है। हालांकि सुकमा में हुई घटना उन 7 घटनाओं में सबसे बड़ी है। जिसमें नौजवान शहीद हुए। नक्सली उस क्षेत्र में ज्यादा मूवमेंट करते हैं जहां उन्हें आसानी से बारूद व भोजन मिल सके। बारूद के दम पर ही नक्सलियों ने अपना इतिहास खड़ा किया है।
इनका कहना है
सुकमा में हुई घटना के बाद से छत्तीसगढ़ सरकार नक्सल को लेकर सख्त हो गई है। सीआरपीएफ एवं छत्तीसगढ़ पुलिस लगातार नक्सलियों पर दबाव बनाए हुए है। इससे नक्सली छग की सीमा छोड़कर दूसरे इलाकों में मूव कर सकते हैं। इसे देखते हुए हमने सीमा पर सुरक्षा बढ़ाई है साथ ही सर्चिंग की जा रही है।
उमेश जोगा, आईजी रीवा रेंज, रीवा