भोपाल। कभी छोटी-सी मढ़िया भक्तों की आस्था का बड़ा केन्द्र हुआ करती थी, लेकिन अब भव्य व सुंदर कालिका मंदिर के रूप में तब्दील हो चुकी है। शाहजहांनी पार्क स्थित छोटे तालाब किनारे बना कालिका मंदिर लोगों की आस्था का बड़ा केन्द्र है।

यहां यूं तो हमेशा भक्तों का तांता लगा रहता है। लेकिन नवरात्र के दिनों में तो यहां मेले-सा माहौल होता है। हजारों की संख्या में प्रदेश के विभिन्न स्थानों से यहां मां कालिका के दर्शन करने श्रद्धालु आते हैं और विशेष अनुष्ठान कराते हैं। कालिका मंदिर धर्मार्थ न्यास, कालीघाट के पुजारी पं. सीताराम शर्मा ने बताया कि अब से 51 साल पहले सन 1967 में स्व. शिवनारायण सिंह बघवार ने मंदिर की स्थापना की थी। पहले इस मंदिर का स्वरूप छोटी सी मढ़िया था, लेकिन भक्तों की अटूट श्रद्धा के कारण मंदिर का विस्तार होता ही चला गया।

आज मंदिर भव्य रूप ले चुका है, साथ ही तालाब के किनारे मंदिर का चबूतरा भी है। जहां भक्तों द्वारा विशेष मौकों पर विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं। 108 फीट ऊंचा शिखर मंदिर में स्थापित किया गया है।

मां के गर्भग्रह के पीछे मन्नत मांगने के लिए धागा बांधा जाता है, जबकि मन्नत पूरी होने पर धागा खोलने श्रद्धालुओं को आना होता है। नवरात्र में मंदिर की विशेष सजावट की जाती है व विभिन्न अनुष्ठान किए जाते हैं। वर्तमान में मंदिर का संचालन प्रभा सिंह बघावर द्वारा किया जाता है, जो कि स्व.शिवनारायण की धर्मपत्नी हैं।

हंदू ही नहीं मुस्लिम समुदाय के लिए भी आस्था का केन्द्र

मंदिर के पुजारी पं.सीताराम शर्मा ने बताया कि मां कालिका मंदिर हिंदू आस्था का केन्द्र तो है ही। यहां मुस्लिम समुदाय के साथ ही अन्य धर्मों के लोग भी बड़ी ही आस्था के साथ मन्नत मांगने आते हैं। कई धर्मों के लोग तो मंदिर में रोजाना मां के दर्शन करने आते हैं। साथ ही मंदिर में शिव का दरबार भी है।

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