ग्वालियर | प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की स्थानीय शाखा में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया|संस्थान में आने बाली कई बहनों का उनके द्वारा किये गए उल्लेखनीय कार्यों के लिए उन्हें सम्मानित किया गया |
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान की संचालिका बीके आदर्श बहिन ने कहा कि व्यक्ति निर्माण से लेकर विश्व निर्माण तक महिलाओं के महत्व और भूमिका को हम सभी अच्छी तरह से जानते हैं I परिवार समाज की सबसे महत्वपूर्ण इकाई है I परिवार संयुक्त हो या एकाकी उसकी आन्तरिक रीति – नीति, सामाजिक व्यवहार और उसकी जीवन पद्धति का स्वरुप उस परिवार की प्रमुख महिला के संस्कारों से ही प्रतिबिम्बित और निर्मित होता है I परिवार के छोटे से बड़े तक को संस्कारों से परिष्कृत करने का प्रत्यक्ष और परोक्ष दायित्व परिवार की प्रमुख नारी शक्ति पर आ पड़ता है I इतिहास इस सत्य का सबसे बड़ा साक्षी है कि विश्व के महान से महान चरित्रवान व्यक्तियों के चरित्र को गढ़ने ,बनाने में उस परिवार की माताओं का सबसे बड़ा हाथ रहा है I चाहे वह महाराजा शिवाजी रहें हों या लाल बहादुर शास्त्री और चाहे वह लाला लाजपत राय रहें हों या ईश्वरचन्द्र विदयासागर – उन सबके चरित्रों को उनकी माताओं के चरित्रों की द्रढ़ता, निष्ठा, संकल्प और लक्ष्य-सिद्धि के संस्कारों ने ही महान उपलब्धियों की ओर प्रेरित किया था I
मातृशक्ति सेवा की जीवंत प्रतिमा है उसके ममत्व का कभी अंत नहीं होता I उसके पास सबके कल्याण की कामना है वह किसी का अहित नहीं सोचती I स्वयं उसका व्यक्तिगत स्वार्थ परिवार में नगण्य हो जाता है और अपने व्यक्तिगत सुख और स्वार्थ की भावना को त्याग कर जो पूरे परिवार के मंगल और हित के लिए नि:स्वार्थ भाव से समर्पित है उस माता का चरित्र “सर्वजनहिताय” एक आदर्श चरित्र हैI
साथ ही दीदी जी ने बताया कि महिला सशक्तिकरण का कार्य प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय पिछले 82 वर्षों से बड़े प्रभावी ढंग से कर रहा है उन्होंने सशक्तिकरण का सही अर्थ स्पष्ट करते हुए बताया कि अब नारी नैतिक और आध्यात्मिक शक्ति प्राप्त करके पुरुषत्व-भाव में गुलाम बने रहना छोड़े, वह उसे सहयोग दे योगिनी बन कर ,उससे सहानुभूति करे ईश्वरानुभूति करके, उसके साथ मिलकर गृहस्थी चलाये , गृहस्थ को आश्रम मान कर I वह कामिनी के बजाय कल्याणी बने और अबला के बजाए शक्तिरूपा बने I
* नारी एक परमात्मा की बनायी हुई सुन्दर रचना है तभी कहा है
नारी निंदा मत करो नारी नर की खान
नारी से ही उपजे गौतम, नानक, बुद्ध महान
औरत का इस दुनिया में मान है
औरत एक बहिन है एक माँ है बेटी है औरत के बिना सूना है ये जहान है |*
अगर एक आदमी को शिक्षित किया जाता है तो एक आदमी शिक्षित होता है लेकिन जब एक औरत को शिक्षित किया जाता है तो एक पीढ़ी शिक्षित होती है I नारी शक्ति वो शक्ति है जो अपने प्रेम, वात्सल्य, करुणा, अद्भुत साहस, अथक परिश्रम से सभी की पालना करती है वह आगे बढ़ने और बढ़ाने के साहस से परिपूर्ण है, असामान्य परिस्तिथियों को भी सामान्य बनाने का साहस रखती है अपने प्रेम, त्याग और आत्मविश्वास से अनेकों में बल भरती है जिसकी महिमा में भगवान भी कहते है “वन्दे मातरम्” I
इसी अवसर पर श्रीमती भगवती रौतेला (पूर्व प्रिंसिपल ), श्रीमती जया लोकवानी, श्रीमती कृष्णा रावत, श्रीमती बीनू मकरानी, श्रीमती रानी बाधवानी समाजसेविका ने भी नारी के महत्व् को बताते हुए अपनी शुभकामनायें व्यक्त की कार्यक्रम के अंत में सभी भाई बहनों का धन्यवाद बी के प्रहलाद भाई ने दिया और सभी को प्रसाद भी वितरण किया गया |
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