आतंकी हाफिज सईद को लेकर आखिरकार पाकिस्तान सरकार असली चेहरा सामने आ ही गया जिसको लेकर पहले से आशंका जताई जा रही थी। आतंकी और उसके संगठन को बचाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने जो हथकंडा अपनाया वह वास्तव में बेहद शर्मनाक है। इससे यह भी जाहिर होता है कि आखिरकार पाकिस्तान की सरकार और वहां की सियासत में आतंकियों और उनके संगठनों की कितनी पैंठ है। दरअसल, पाकिस्तान ने पिछले महीने आतंकी फंडिंग के अंतरराष्ट्रीय निगरानी संगठन फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की काली सूची में जाने से बचने के लिए मुंबई आतंकी हमले के मास्टरमाइंड आतंकी हाफिज सईद के संगठन जमात-उददावा पर प्रतिबंध लगाने का जो नाटक रचा था, उसकी पोल अब पूरी तरह से खुल गई है।
खुलेआम चल रहे हैं आतंकी संगठनों के दफ्तर
हाफिज सईद और उसके अन्य आतंकी साथी और प्रतिबंधित फलाह-आइ-इंसानियत (एफआइएफ) के दफ्तर पाकिस्तान में खुले आम चल रहे हैं। उसके कामकाज पर पाकिस्तान के लगाए प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ा है। गौरतलब है कि पिछले महीने ही पाकिस्तान के राष्ट्रपति ममनून हुसैन ने 1997 के आतंकवाद रोधी अधिनियम में संशोधन के लिए अधिनियम बनाया था। इसके तहत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में प्रतिबंधित संगठनों को पाकिस्तान में प्रतिबंधित किया जाना था। तब पाकिस्तान सरकार ने दावा किया था कि उसने जमात-उद-दावा के लाहौर के चौबुर्जी स्थित मस्जिद अल कदीसिया के दफ्तर और मुख्यालय मुरिदके मरकज को बंद कर दिया है।
जनरल बख्शी ने पहले ही जताई थी आशंका
आपको यहां पर ये भी बता दें कि जिस वक्त ये खबर आई थी कि एफआइएफ की बैठक से डरकर पाकिस्तान ने हाफिज सईद और उसके संगठनों को आतंकी संगठन घोषित किया है और इस बाबत वहां के राष्ट्रपति ने एक बिल पर दस्तखत किए हैं। उसी वक्त रक्षा जानकार और भारतीय सेना के पूर्व मेजर जनरल जीडी बख्शी ने यह साफ कर दिया था कि यह दिखावे से जयादा कुछ नहीं है। उनका कहना था कि केवल पेरिस में होने वाली बैठक और इसके फैसले से बचने के लिए पाकिस्तान ने यह चाल चली है। लेकिन पाकिस्तान इन आतंकियों और इनकें संगठनों पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाने वाला है। उन्होंने यहां तक कहा था कि वक्त बीतने के साथ-साथ ये आतंकी संगठन नए नाम का चोला ओढ़ लेंगे और नए चेहरों के साथ फिर वही काम करते हुए दिखाई देंगे जो ये अब कर रहे हैं।