पानीपत. हरियाणा के बेहद ईमानदार और तेज-तर्रार माने जाने वाले आईएएस अफसर प्रदीप कासनी 28 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। 34 साल की नौकरी में उनके 71 तबादले हुए। उन्हें छह महीने से सैलरी भी नहीं मिली है। ऐसा इसलिए, क्योंकि वे लैंड यूज बोर्ड के ओएसडी पद से रिटायर हो रहे हैं और सरकार के रिकार्ड में उस पद का कोई वजूद ही नहीं है। उन्होंने इसके खिलाफ सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल में अपील की है, जिस पर 8 मार्च को फैसला आएगा।

आरटीआई से पता चला, उनका विभाग वजूद में ही नहीं है
– कासनी ने लैंड यूज बोर्ड में तबादले के बाद जब बैठने के लिए दफ्तर और काम करने के लिए फाइलें और स्टाफ नहीं मिला तो उन्होंने बोर्ड के बारे में सरकार से पूछा। जवाब नहीं मिलने पर उन्होंने आरटीआई लगाई। तब सरकार ने माना कि लैंड यूज बोर्ड 2008 से वजूद में ही नहीं है।

केंद्र ने बंद किया था विभाग, राज्य को पता ही नहीं
– लैंड यूज बोर्ड 2007 में पर्यावरण विभाग फिर कृषि विभाग के अधीन किया गया। कृषि विभाग ने इसे बंद करने के लिए केंद्र को प्रस्ताव भेजा, जो मंजूर हो चुका था।
– इसके बावजूद हरियाणा सरकार ने कासनी को इस बोर्ड के मुख्य कार्यकारी अधिकारी के पद पर तैनात कर दिया।
– कासनी अपने हक के लिए कानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह रिटायरमेंट के बाद भी जारी रहेगी।

1980 में बने थे एचसीएस
– 1980 बैच के एचसीएस (हरियाणा सर्विस कमीशन) के अफसर कासनी 1997 में आईएएस बने थे। उन्होंने हरियाणा सरकार के साथ 1984 में अपनी सेवाएं शुरू की थीं।
– उनकी पत्नी नीलम प्रदीप कासनी हरियाणा के राज्यपाल की एडीसी रह चुकी हैं और पिछले साल ही रिटायर हुई हैं।

सबसे ज्यादा तबादले हुड्डा सरकार में हुए
– प्रदीप कासनी के सबसे ज्यादा ट्रांसफर भूपेंद्र सिंह हुड्डा (कांग्रेस) की सरकार में हुए। खट्टर सरकार के साढ़े 3 साल के कार्यकाल में सितम्बर 2016 में एक महीने के अंदर 3 बार कासनी का ट्रांसफर किया गया।
– अक्टूबर 2015 में खट्टर सरकार आने के बाद कासनी को अहम पदों पर तैनाती की उम्मीद थी, लेकिन गुड़गांव मंडल कमिश्नर की नियुक्ति के बाद यह उम्मीद धरी की धरी रह गई।

सामाजिक आंदोलनों में रहें है सक्रिय
– प्रदीप कासनी मूल रूप से चरखी दादरी के रहने वाले हैं। उनके पिता धर्म सिंह किसान-मजदूर आंदोलन के नेता थे।
– इमरजेंसी से पहले भिवानी में रिवासा कांड हुआ था। उस कांड से तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल के प्रति राज्य में गुस्सा था।
– धर्म सिंह उस आंदोलन की अगुआई कर रहे थे। वह अपने साप्ताहिक अखबार लोक हरियाणा में बंसीलाल और इंदिरा गांधी के खिलाफ खुलकर लिखते थे। किशोर प्रदीप भी अखबार निकालने में उनकी मदद करते थे और सामाजिक आंदोलन में सक्रिय थे। जनसभाओं की मुनादी का जिम्मा उनके पास था।

ट्रांसफर के मामले में खेमका दूसरे नंबर पर
– आईएएस अशोक खेमका और प्रदीप कासनी में कई समानताएं हैं। खेमका के भी 50 से ज्यादा बार ट्रांसफर हो चुके हैं।
– दोनों अधिकारियों को हरियाणा के ईमानदार और तेज-तर्रार अफसर का दर्जा हासिल है और दोनों को राज्य सरकार की उपेक्षा का सामना करना पड़ा।

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