जबलपुर । महाकोशल-विंध्य में मंगलवार को बारिश व ओलावृष्टि ने कहर बरपाया। सिवनी जिले में दोपहर करीब 2 बजे से 15 मिनट तक ओले गिरे, फिर झमाझम बारिश होने लगी। इससे अरी के गंगेरूआ और धपारा में खेतों और सड़कों में एक से दो इंच तक ओले की परत जम गई। सुकतरा के चक्कीखमरिया, बेलपेठ सहित एक दर्जन से अधिक गांव में बेर के आकार के ओले गिरे। इससे गेहूं और चना की फसलें बिछ गईं। सिवनी-कटंगी मार्ग पर गंगेरुआ के पास सड़क पर दो इंच तक ओलों की परत जम गई।
नरसिंहपुर में 100 गांव प्रभावित : नरसिंहपुर में झमाझम बारिश के साथ गोटेगांव और नरसिंहपुर तहसील में कई स्थानों पर हुई ओलावृष्टि से चना, गेहूं, मसूर, अरहर को नुकसान पहुंचा। बारिश-ओले से करीब 100 गांव प्रभावित हुए हैं।
बारिश का दौर जारी है दो मंदिर के कंगूरे क्षतिग्रस्त : नयाखेड़ा में करीब 500 साल पुराने श्रीराम जानकी मंदिर के गुंबद पर मंगलवार सुबह बिजली गिरी, जिससे कलश वाले हिस्से का पलस्तर गिर गया। सगौरिया-डुंगरिया तिराहे पर स्थित हनुमान मंदिर में भी बिजली गिरने से मंदिर का ऊपरी हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया।
बालाघाट में भी ओलों का कहर : मंगलवार को बारिश के साथ गिरे ओले से लालबर्रा, बैहर, गढ़ी, मलाजखंड में फसलों को भारी नुकसान हुआ है। जगह-जगह ओलों की परत बिछ गई। इससे गढ़ी-मलाजखंड में 50 फीसदी से अधिक नुकसान का अनुमान है।
डिंडौरी में गिरा छज्जा, अधिवक्ता की मौत : बिजली गिरने से जिला मुख्यालय के वार्ड-आठ में वर्षों पुराने जर्जर भवन के किनारे संचालित चाय-नाश्ता की गुमटी में दोपहर दो बजे भवन का छज्जा गिर गया। इस मलबे में दबने से अधिवक्ता शिवकुमार मानिकपुरी (62) की मौत हो गई, वहीं एक महिला समेत चार घायल हो गए।
बैतूल जिले में मंगलवार की शाम भारी ओलावृष्टि होने से फसलें तबाह होने की कगार पर पहुंच गई हैं। बैतूल से आठनेर मार्ग पर ओलों की बारिश के बाद ऐसा लगा जैसे बर्फ की चादर में ढंक गया हो। ओलावृष्टि थमने के बाद दोपहिया वाहन चालकों के लिए ओलों से पटी सड़क पर वाहन चलाना मुश्किल हो रहा था।
बर्बाद फसल देख किसान ने लगाई फांसी
बीना में ओलावृष्टि से बर्बाद फसल देख ग्राम स्र्सल्ला में एक किसान ने फांसी लगाकर आत्महत्या का प्रयास किया। उसी गांव की कुछ अन्य महिलाएं भी फसल की बरबादी देख रोते हुए बेहोश हो गईं। प्राकृतिक आपदा से तहसील के दो दर्जन गांवों की फसलों को नुकसान हुआ है। राजस्व विभाग इसका आकलन करा रहा है।
सोमवार शाम बेतवा नदी के किनारे बसे गांवों में 10 से 15 मिनट ओलावृष्टि हुई। इसके कारण किसानों को चिंता हुई और सुबह जब वे खेतों तक पहुंचे तो मसूर, चना, गेहूं की फसलों को पूरी तरह से खेत में बिछा पाया। ग्राम स्र्सल्ला के किसान प्राणसिंह अहिरवार (60) की 14 एकड़ की फसल पूरी तरह बरबाद हो गई। खेत देखने गए किसान ने सदमे में आकर मेड़ पर लगे पेड़ से फांसी लगाने की कोशिश की।
खेत में मौजूद अन्य लोगों ने उसे रोका। वहीं महिलाएं बर्बाद फसल को देख रोते हुए बेहोश हो गईं। सर्वे करने पहुंचे पटवारी संदीप श्रीवास्तव ने बताया किसान प्राणसिंह की फसल पूरी तरह से बरबाद हो गई है। क्षेत्र में लगभग सौ प्रतिशत नुकसान हुआ है। पटवारी ने किसानों, जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में पंचनामा भी बनाया। पटवारी के अनुसार किसान प्राणसिंह के खेत में मसूर की बोवनी हुई थी, जो बेकार हो गई है।
निमाड़ अंचल में भी बारिश के साथ आंधी ने मचाई तबाही
खंडवा जिले में मौसम का कहर थम नहीं रहा है। मंगलवार को आंधी, बारिश के साथ सिंगोट और खालवा ब्लॉक में ओलावृष्टि हुई। इससे क्षेत्र में फसलें प्रभावित हुई हैं और किसानों के जख्म फिर हरे हो गए हैं। सबसे ज्यादा नुकसानी खेत में काट कर रखी गेहूं और चने की फसल को हुई है। दो दिन पूर्व हुई नुकसानी का आकलन पूरा भी नहीं हुआ और मंगलवार मौसम का मिजाज बदल गया। गांधवा में ओलों की चपेट में आने से फसल के अलावा परिंदे भी मारे गए हैं।
इधर बुरहानपुर के ग्राम डोईफोड़िया, खकनार, धाबा और आसपास क्षेत्र में भी आंधी, बारिश के साथ ओले गिरे। इससे गेहूं व चने की फसल को नुकसान हुआ है। गेहूं की फसल आड़ी हो गई और चने की फसल बिछ गई। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों ने प्रशासन से खेतों में नुकसानी का सर्वे कराकर मुआवजा दिलाने की मांग की है।