जीवाजी विश्वविद्यालय में लगभग 2 लाख विद्यार्थी शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं। इससे साबित होता है कि विश्वविद्यालय शिक्षा के प्रसार का बहुत बड़ा केन्द्र है। राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा के केन्द्र कितने भी विशाल क्यों न हों, लेकिन उनकी भी क्षमता होती है। इसलिये ऑनलाइन शिक्षा सुविधाजनक है। विद्यार्थी घर बैठे कोर्स पूरा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि टेक्नोलॉजी का प्रभाव बढ़ रहा है और मानव जीवन सुगम बन रहा है। हमारी निर्भरता भी टेक्नोलॉजी पर बढ़ती जा रही है, लेकिन इस निर्भरता को इतना नहीं बढ़ाएँ कि हम अक्षम ही हो जाएँ। उन्होंने कहा कि यह समय संकल्प लेने का है।
राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल ने कहा कि देश के महान शिक्षाविद् डॉ. राधाकृष्ण के हाथों जीवाजी विश्वविद्यालय की नींव रखी गई, जो एक खुशी की बात है। उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षा में गुणवत्ता लाने के लिये कैलेण्डर बनाया जाए। साथ ही परीक्षा एवं परीक्षा परिणाम समय से हो। इससे विश्वविद्यालय की गरिमा बढ़ेगी। विश्वविद्यालय के भूतपूर्व विद्यार्थी रोजगार सृजन का कार्य कर रहे हैं एवं देश के सर्वांगीर्ण विकास में अपना बहुमूल्य योगदान दे रहे हैं। विश्व रंगमंच पर तिरंगे को ऊँचा रखना चाहते हैं तो विद्यार्थी एवं युवाओं को सक्रिय भूमिका निभानी होगी।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि यह अत्यंत खुशी की बात है कि विश्वविद्यालय का दीक्षांत समारोह का आयोजन भारतीय परिवेश में हो रहा है। पुरानी परंपरायें गुलामी का प्रतीक थीं। अब गुलामी का चोला उतारकर फेंक दिया है। उन्होंने कहा कि विद्यार्थी अपने ज्ञान का उपयोग समाज के हित में करें।
समारोह में मध्यप्रदेश की राज्यपाल श्रीमती आनंदीबेन पटेल, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के राज्यपाल प्रो. कप्तान सिंह सोलंकी, केन्द्रीय पंचायतीराज एवं ग्रामीण विकास मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर, नगरीय विकास मंत्री श्रीमती माया सिंह, उच्च शिक्षा मंत्री जयभान सिंह पवैया, विश्वविद्यालय की कुलपति श्रीमती संगीता शुक्ला, छात्र-छात्रायें, अभिभावक, प्राध्यापकगण तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।