अनुसूचित जाति और जनजाति के पक्ष में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला लिया है। कोर्ट ने कहा है कि केंद्र और राज्य सरकारें अपने पत्र-व्यवहार में दलित शब्द का उपयोग न करें क्योंकि संविधान में इसका उल्लेख नहीं है।

ग्वालियर के सामाजिक कार्यकर्ता मोहनलाल महोर की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायाधीश संजय और अशोक कुमार जोशी की पीठ ने पिछले हफ्ते कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि सरकारी तंत्र को दलित शब्द का उपयोग नहीं करना चाहिए। डॉ मोहन लाल महोर ने याचिका में कहा है कि इस वर्ग से जुड़े लोगों को अनुसूचित जाति अथवा जनजाति के रूप में ही संबोधित किया गया है। ऐसे में सरकारी दस्तावेजों और दूसरी जगहों पर दलित शब्द का इस्तेमाल संविधान के विपरीत किया जा रहा है।

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