वालियर। ईश्वर का साथ चाहिये तो ईश्वर से दुख मांगना होगा,तभी ईश्वर का साथ मिलेगा। क्योंकि सुख में तो ईश्वर का साथ नहीं मिलता है लेकिन दुख मेें हमेशा ईश्वर का साथ हमारे साथ होता है, इसीलिये पांडवों की माता कुंती की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान ने उससे वर मांगने को कहा तो उसने ईश्वर से कहा कि मुझे तो सदैव आपका साथ चाहिये, इस पर भगवान ने कहा कि मैं तो सदैव दीन दुखियों के साथ रहता हॅूं। इस पर कुंती ने कहा कि तो फिर प्रभु मुझे भी दुख ही दे दीजिये कम से कम आप इस कारण मेरे साथ तो रहेंगें। इसलिये जब कुंती ने ईश्वर से दुख मांगा था, तभी तो उन्हें हमेशा भगवान श्री कृष्ण का साथ मिला।
इसी प्रकार आगे की कथा में कथा व्यास गद्दी से ब्रह्मचारी प्रेमानंद महाराज ने बताया कि जब अश्वथामा ने द्रोपदी के पांचों पुत्रों का वध कर दिया तो प्रभु ने द्रोपदी से उसका दंड निर्धारित करने के लिये कहा इस पर द्रोपदी ने कहा कि शत्रु कितना ही बड़ा क्यों न हो,कितना ही निर्दयी क्यों न हो, हो सके तो उसे क्षमा कर देने से बड़ा कोई धर्म नहीं है और फिर यह तो गुरू पुत्र है इसलिये इसे मृत्यु दंड न दिया जाये, इसे क्षमा कर दिया जाये। उक्त विचार दद्रौआ धाम में चल रही कथा में व्यास गद्दी से विराजमान ब्रहम्चारी प्रेमानंद जी महाराज ने शनिवार की कथा में व्यक्त किये।
यज्ञशाला में वेद मंत्रों और गाय के शुद्ध देशी घी,ऑर्गनिक तिल आदि यज्ञ सामग्री साथ दी जा रही आहुतियों से शहर का वातावरण शुद्ध व स्वच्छ हो रहा हैं। इसके साथ ही इस यज्ञ में शामिल यजमान व उनके परिजनों को काल सर्प दोष और अकाल मृत्यु के दोष से भी मुक्ति मिलेगी। इसलिये शहर वासियों से अपील है कि अधिक से अधिक लोग इस 165 कुण्डीय रूद्र महायज्ञ में यजमान के रूप में शामिल होकर इस अवसर का लाभ उठायें।
यज्ञ में प्रतिदिन पांच लाख महामृत्युंजय मंत्र, 11हजार गायत्री मंत्र, 108 आवृत्ति श्रीसूक्त,108 पुरूष शूक्त तथा लिंग पुराण का अनुष्ठान हो रहा है। यज्ञ में शामिल यजमान व ब्राहम्ण भारतीय परिधान धोती, अंगवस्त्र व साड़ी आदि का उपयोग आवश्यक है। ग्वालियर के बाहर से आये हुए लोगों के आवास-भोजन आदि का प्रबंध किया गया। यह संपूर्ण आयोजन महामण्डलेश्वर संतश्री रामदास महाराज, महामण्डलेश्वर स्वामी ईश्वरदास महाराज, स्वामी अच्युतानंद महाराज, स्वामी पुष्करानंद महाराज, मंशापूर्ण हनुमान मंदिर के पुजारी पं.गोपाल दूबेजी, गौरव महाराज की उपस्थिति में हो रहा है।
यज्ञ की अध्यक्षता स्वामी पुष्करानंद महाराज द्वारा की जा रही है। जिसकी सभी व्यवस्थाएं लाल टिपारा गौ शाला के वर्तमान व्यवस्थापक स्वामी अच्युतानंद महाराज की देखरेख में की जा रही हैं।