नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को पद्मावत फिल्म पर रोक लगाने की मांग को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए खारिज कर दिया. चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि गुरुवार राज्य सरकार की दलीलों को सुना और फिल्म को लेकर उनका जो विरोध था उसे खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सुरक्षा देना राज्य सरकार की जिम्मेदारी है हमारी नहीं. इससे पहले याचिकाकर्ता वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि पद्मावत रिलीज होने के बाद अगर देश में कानून व्यवस्था बिगड़ती है और दंगे जैसे हालात पैदा होते हैं तो इसके लिए फिल्म जिम्मेदार होगी. सीजीआई ने कहा, “हम एक संवैधानिक न्यायालय के रूप में कार्य कर रहे हैं और सुरक्षा देना राज्य का कर्तव्य है” उन्होंने कहा कि इस मामले में वह विस्तृत आदेश गुरुवार को दे चुके हैं और उन्होंने कहा कि सेंसर बोर्ड एक बार मंजूरी दे चुका है तो उसे रोका नहीं जा सकता.
आपको बता दें कि पद्मावत की रिलीज को सेंसर बोर्ड द्वारा मंजूरी देने के फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. यह जनहित याचिका एमएल शर्मा ने दाखिल की थी.
गौरतलब है कि गुरुवार को चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया दीपक मिश्रा ने कहा था कि जब बैंडिट क्वीन रिलीज हो सकती है तो पद्मावत फिल्म क्यों रिलीज नहीं हो सकती. जब संसद ने वैधानिक तौर पर सेंसर बोर्ड को जिम्मेदारी दी है और बोर्ड ने फिल्म को सर्टिफिकेट दिया है तो कानून व्यवस्था का हवाला देकर राज्य कैसे फिल्म पर बैन लगा सकते हैं.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि फिल्म चाहे बॉक्स ऑफिस पर बम साबित हो या लोग तय करें कि वो इसे नहीं देखेंगे लेकिन राज्य अपनी मशीनरी को इस तरह फिल्म का रिलीज पर रोक लगाने के लिए नहीं कर सकता.कोर्ट ने कहा कि कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी राज्यों की है.