आधार नंबर बिकने की खबर प्रकाशित करने वाले अखबार और पत्रकार के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के बाद UIDAI ने सफाई दी है। UIDAI ने कहा है कि एफआईआर दर्ज करवाकर वह व्हिसलब्लोवर और मीडिया को टारगेट नहीं कर रहा है बल्कि अपना काम कर रहा है। UIDAI ने ट्विटर पर एक स्टेटमेंट जारी करते हुए कहा है, ‘हाल ही में ‘द ट्रिब्यून’ की जिस रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर की गई है, उसके बाद से मीडिया में यह कहा जा रहा है कि यूईडीएआई मीडिया या व्हिसलब्लोवर्स को टारगेट कर रहा है और मैसेंजर को शूट कर रहा है, लेकिन यह बात बिल्कुल भी सही नहीं है। हम प्रेस और मीडिया की स्वतंत्रता का सम्मान करते हैं। हमारे द्वारा एफआईआर दर्ज कराने के कदम को मीडिया पर या व्हिसलब्लोवर्स पर हमले के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।’ इसके साथ यूईडीएआई ने ट्विटर पर इस मामले की पूरी जानकारी भी दी है।
दरअसल ‘द ट्रिब्यून’ की रिपोर्ट में महज 500 रुपये में देश के करोड़ों लोगों का आधार नंबर हासिल करने का दावा किया गया था। रिपोर्ट में कहा गया था कि रिपोर्टर ने इस गिरोह को चलाने वाले एक एजेंट से संपर्क किया और उसे पेटीएम के जरिये 500 रुपये का भुगतान किया था।। दस मिनट के बाद एक शख्स ने रिपोर्टर को एक लॉगइन आईडी और पासवर्ड दिया। इसके जरिये पोर्टल पर किसी भी आधार नंबर की पूरी जानकारी ली जा सकती थी। इनमें से नाम, पता, पोस्टल कोड, फोटो, फोन नंबर और ई-मेल शामिल हैं। यही नहीं जब उस एजेंट को 300 रुपये और दिए गए तो उसने ऐसा सॉफ्टवेयर दिया, जिसके जरिये किसी भी व्यक्ति के आधार को प्रिंट किया जा सकता था।