नई दिल्ली । सोने की तस्करी मामले में कन्नड़ एक्ट्रेस रान्या राव के सौतेले पिता डीजीपी रामचंद्र राव पर भी ऐक्शन हुआ है। अधिकारियों ने शनिवार को बताया कि उन्हें ‘अनिवार्य छुट्टी’ पर भेज दिया गया। आईपीएस ऑफिसर राव फिलहाल कर्नाटक स्टेट पुलिस हाउसिंग एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन में मैनेजिंग डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। दुबई से आने पर 3 मार्च को केम्पेगौड़ा अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर रान्या से 12.56 करोड़ रुपये मूल्य की सोने की बिस्किट जब्त की गई थी। इसके बाद उनके आवास की तलाशी ली गई। अधिकारियों ने कहा कि 2.06 करोड़ रुपये के सोने के आभूषण और 2.67 करोड़ रुपये नकद भी बरामद किए गए। डीआरआई के अलावा प्रवर्तन निदेशालय और सीबीआई भी मामले की एक साथ जांच कर रही हैं।

राजस्व खुफिया निदेशालय ने अदालत में कहा कि कर्नाटक पुलिस प्रोटोकॉल अधिकारी का इस्तेमाल रान्या राव से जुड़े सोना तस्करी गिरोह में किया गया था। रान्या को जमानत देने के खिलाफ अपनी दलील में केंद्रीय एजेंसी ने आर्थिक अपराधों के लिए विशेष अदालत को बताया कि आरोपी ने इस साल जनवरी से 27 बार दुबई की यात्रा की थी। डीआरआई ने कहा, ‘अब तक की जांच में सोने की तस्करी में इस्तेमाल की गई कार्यप्रणाली, सुरक्षा को दरकिनार करने के लिए राज्य पुलिस प्रोटोकॉल अधिकारी का इस्तेमाल, सोना खरीदने के लिए भारत से दुबई में धन स्थानांतरित करने के लिए हवाला लेनदेन और बड़े गिरोह की संलिप्तता का पता चला है।’ इन दलीलों के बाद अदालत ने शुक्रवार को रान्या को जमानत देने से इनकार कर दिया।

DRI पर मारपीट, जबरन हस्ताक्षर कराने का आरोप
इस बीच, रान्या राव ने राजस्व आसूचना निदेशालय (DRI) के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने दावा किया कि उनके साथ मारपीट की गई और उसे खाली व पहले से लिखे कुछ कागजों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया। रान्या ने बेंगलुरु में डीआरआई के अतिरिक्त महानिदेशक को संबोधित 6 मार्च को लिखे पत्र में दावा किया कि उन पर झूठा मामला थोपा गया है। उन्होंने पत्र में कहा कि दुबई से लौटने पर उनके खिलाफ 14 किलोग्राम से अधिक सोना ले जाने का गलत आरोप लगाया गया था।

रान्या ने आरोप लगाया, ‘आपके अधिकारियों ने मुझे यह बताने की अनुमति नहीं दी कि मैं इस मामले में निर्दोष हूं।’ अभिनेत्री ने दावा किया कि हिरासत में लिए जाने से लेकर अदालत में पेश किए जाने तक उसे 10 से 15 बार थप्पड़ मारे गए। बार-बार मारपीट और थप्पड़ मारे जाने के बावजूद मैंने उनकी ओर से तैयार किए गए बयान पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। पहले से कुछ लिखे 50 से 60 और लगभग 40 खाली पन्नों पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर किया गया।