इंदौर। 20 साल पहले रोडवेज को सरकार ने लगातार घाटे के चलते बंद कर दिया था। इसके बाद निजी ऑपरेटरों के भरोसे ही समूची लोक परिवहन व्यवस्था आ गई, जिसके चलते निजी ऑपरेटरों ने जहां मनमानी की, वहीं अधिकांश ग्रामीण और घाटे वाले रुटों पर बसों का संचालन बंद कर दिया। नतीजतन इन लोगों को ट्रैक्टर-ट्रकों से लेकर अन्य वाहनों से आवागमन करना पड़ता है। अब मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की पहल पर नए सिरे से सरकार खुद नई लोक परिवहन नीति के तहत बसों का संचालन करेगी। पहले चरण में 500 रुटों पर ये बसें चलेंगी, जिनमें अधिकांश ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्र शामिल रहेंगे। निजी ऑपरेटरों की मदद से ही ये बसें चलवाई जाएंगी, मगर नियंत्रण पूरा सरकारी कम्पनी के हाथों में रहेगा।

इंदौर में जिस तरह एआईसीटीएसएल द्वारा सिटी बसों से लेकर अन्य शहरों और अंतरराज्यीय बसों का संचालन किया जा रहा है उसी तरह अब सरकार भी परिवहन कम्पनी बना रही है, जिसके अधीन एआईसीटीएसएल से लेकर प्रदेशभर की कम्पनियां रहेंगी। अभी 80 करोड़ रुपए की राशि बजट में भी इन बसों के संचालन की व्यवस्थाओं के लिए की गई है। सूत्रों का कहना है कि पहले चरण में 500 रुटों पर ये बसें चलाई जाएंगी। मुख्यमंत्री परिवहन सेवा के तहत आम जनता को ये लोक परिवहन सेवा प्रदान की जाएगी। जिन रुटों पर इन बसों का संंचालन किया जाएगा उसके साथ बड़े शहरों से कनेक्टिंग बस सेवा भी शुरू होगी। अभी शुरुआत में शासन के प्रयास हैं कि ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों में इन बसों का संचालन शुरू किया जाए, जहां पर अभी किसी तरह के लोक परिवहन की सुविधा उपलब्ध नहीं है। उल्लेखनीय है कि 2005 में रोडवेज को सरकार ने बंद कर दिया था और अब 20 साल बाद पटरी से उतरे लोक परिवहन की व्यवस्था को फिर से संचालित करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इन सभी रुटों की सरकार नीलामी करेगी और निजी बस ऑपरेटरों के माध्यम से ही बसों को संचालन कराया जाएगा, जिन रुटों पर ऑपरेटर नहीं मिलेंगे, वहां सरकार खुद बसों का संचालन करेगी। अभी ग्रामीण और आदिवासी क्षेत्रों के बाद सभी प्रमुख शहरों, उसके बाद एक से दूसरे राज्यों के बीच भी इन बसों का परिवहन कराया जाएगा। शासन द्वारा इसके लिए जो कम्पनी बनाई जा रही है उसके अधीन ही सभी शहरों में संचालित कम्पनियां आ जाएगी और यहां तक कि उसके जो बस डिपो, दफ्तर, रोडवेज की भी पुरानी जमीनें हैं, उसे भी कम्पनी के अधीन कर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए इंदौर में भी रोडवेज की सम्पत्तियां मौजूद हैं। उसके बाद साथ ही प्राधिकरण द्वारा दो आईएसबीटी भी निर्मित करवाए गए हैं। नायता मूंडला के अलावा दूसरा बस टर्मिनल एमआर-10 कुमेर्डी में बनाया है। यह भी सरकार की कम्पनी के अधीन आ जाएगा और इसी तरह एआईसीटीएसएल पर भी सरकारी कम्पनी का नियंत्रण रहेगा। इंदौर में अभी एआईसीटीएसएल द्वारा सिटी बसों के अलावा इंदौर-भोपाल सहित अन्य रुटों पर भी निजी बस ऑपरेटरों से संचालन करवाया जा रहा है। वहीं अंतरराज्यीय बसें भी चलवाई जा रही हैं। अभी शुरुआत में मुख्य कम्पनी के अलावा अन्य आठ कम्पनियां बनाई जाएगी, जो कि संभागीय स्तर की रहेंगी और बसों के संचालन की व्यवस्थाएं इन कम्पनियों की देख-रेख में ही की जाएगी। इसके लिए समितियों का गठन भी होगा। एक आधुनिक मोबाइल एप भी बनाया जा रहा है, जिसके जरिए ऑनलाइन टिकट बुकिंग, बस ट्रैकिंग सहित अन्य आधुनिक सुविधाओं का इस्तेमाल किया जा सकेगा। स्मार्ट कार्ड भी जारी होंगे और जीपीएस ट्रैकिंग भी रहेगा, ताकि कंट्रोल रूम से बसों पर निगाह रखी जा सके।