मध्य प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग की बड़ी लापरवाही सामने आई है। यहां एंबुलेंस में ऑक्सीजन खत्म होने से साढ़े तीन साल की बच्ची की मौत हो गई है। एंबुलेंस चालक और ईएमटी वाहन को लेकर फरार हो गए हैं। एक मासूम बच्ची की सिस्टम की लापरवाही की वजह से मौत का मामला गरमा रहा है। मध्य प्रदेश में एक बार फिर स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही का मामला सामने आया। इस बार 108 एंबुलेंस में ऑक्सीजन सिलेंडर खत्म होने से एक साढ़े तीन साल की बालिका की मौत हो गई। गुना जिले के धरनावदा गांव निवासी बच्ची के दादा औंकार सिंह कुशवाहा ने बताया कि उनकी साढ़े 3 साल की पोती हर्षिता को बुखार आने पर गुना जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जहां डॉक्टरों ने इलाज में लापरवाही बरती। सुबह 6:40 पर गंभीर हालत में बालिका को 108 एंबुलेंस से भोपाल रेफर कर दिया गया। जब बालिका को लेकर भोपाल जा रहे थे तभी राजगढ़ जिले के ब्यावरा से 5 किलोमीटर दूर 108 एंबुलेंस में रखे ऑक्सीजन सिलेंडर में ऑक्सीजन खत्म हो गई।

परिजनों ने की कार्रवाई की मांग

इसके बाद बालिका के दादा ने 108 में मौजूद कर्मचारियों से ऑक्सीजन खत्म होने की जानकारी दी। इसके बाद दूसरा ऑक्सीजन सिलेंडर लगाया गया। उसमें भी ऑक्सीजन नहीं थी। इसके बाद जब बालिका की तबीयत बिगड़ने लगी तो उसे सिविल अस्पताल ब्यावरा लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बालिका के परिजनों ने आरोप लगाया कि 108 एंबुलेंस के चालक उनके कपड़े और अन्य सामान फेंककर, बालिका का पर्चा और जरूरी कागज लेकर भाग गए। इसके बाद उन्होंने कार्रवाई की मांग की है। इधर सूचना मिलने पर देहात थाना पुलिस मौके पर पहुंची और मामला जांच में लिया और शव का पोस्टमार्टम कराया।

जिला अस्पताल के डॉक्टर ने बच्ची को भोपाल रेफर करने की दी थी सलाह

प्राप्त जानकारी के अनुसार टाइडफाइड से ग्रस्त साढ़े तीन साल की मासूम हर्षिता को गुना के जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया था। जिला अस्पताल में उसे रात में उल्टियां होने लगीं। परिजनों ने नर्सिंग स्टाफ और डॉक्टर से इलाज के लिए गुहार लगाई लेकिन सुनवाई नहीं हुई। हर्षिता की तबीयत ज्यादा बिगड़ी तो ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर ने उसे भोपाल रेफर करने की सलाह दी। सुबह 6.37 बजे हर्षिता के परिजन सरकारी एंबुलेंस में सवार होकर भोपाल निकल गए। बता दें कि कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देशभर के सरकारी अस्पतालों में ऑक्सीजन बनाने की व्यवस्था करवा दी थी, जिसमें से एक गुना भी है। इसके बावजूद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के किए हुए कार्य से व्यवस्था होते हुए भी शासकीय कर्मचारी अपनी लापरवाही के चलते मोहन यादव सरकार को बट्टा लगाने से बाज नहीं आ रहे हैं।