ग्वालियर । बच्चे पैदा न होने पर पत्नी का गला दबाकर फांसी के फंदे पर लटकाने के आरोपी हरिमोहन को विशेष न्यायाधीश (महिला अपराध) विवेक कुमार ने 10 साल के कठोर कारावास की सजा दी। संतान नहीं होने और पैसों के विवाद को लेकर दोनों में आए दिन झगड़ा होता था।

कोर्ट का कहना है कि ऐसे आरोपी को कड़ी से कड़ी सजा दी जानी चाहिए। यह पूरा घटनाक्रम 9 जुलाई 2021 का है। आरोपी को ऐसा करते हुए उसके गोद लिए बेटे ने देख लिया था। 11 दिन तक महिला गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती रही थी और बमुश्किल उसकी जान बची थी।

11 दिन अस्पताल में भर्ती रही महिला

9 जुलाई 2021 को जब हरिमोहन अपनी पत्नी नर्मदा को फांसी पर लटका रहा था, तभी उनका गोद लिया हुआ बेटा आ गया। उसने पिता को अपराध करते हुए देख लिया था। आनन-फानन में वह मां के पास पहुंचा और उसे फंदे से उतारकर इलाज के लिए अस्पताल ले गया।

11 दिन तक इलाज के बाद नर्मदा घर लौटी। इसके कुछ दिन बाद पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई गई, जिसके बाद पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार किया था।

संतान नहीं होने पर होता था विवाद

इस मामले में जानकारी देते हुए अपर लोक अभियोजक मिनी शर्मा ने बताया कि बस चालक हरिमोहन और नर्मदा की कोई संतान नहीं थी। नर्मदा ने पति की सहमति लेकर अपनी बहन के बेटे को गोद लिया था, जो कई सालों तक उनके साथ ही रहा। बाद में उसके जैविक माता-पिता की मृत्यु हो गई, जिससे उसे बीमा का पैसा मिला। उस पैसे में से कुछ हिस्सा हरिमोहन ने लिया और घर निर्माण का काम कराया।

जब हरिमोहन का किसी बात पर बेटे से विवाद हुआ, तो उसने सारे पैसे लौटाकर उसे घर से निकाल दिया। इसके बाद से ही पति-पत्नी में आए दिन विवाद होने लगा। घटना वाले दिन भी हरिमोहन घर पहुंचा और कमरे में सो रही पत्नी का गला दबाने लगा।

जब नर्मदा मरणासन्न स्थिति में पहुंच गई, तो हरिमोहन ने प्लास्टिक की रस्सी लेकर उसके गले में डालने की कोशिश की, ताकि उसकी मौत को फांसी का मामला बताया जा सके। लेकिन इससे पहले कि वह उसे फंदे पर लटका पाता, बेटा घर आ पहुंचा और उसने पिता को रोक लिया।