मध्य प्रदेश में भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों की खैर नहीं है. लोकायुक्त पुलिस एक्शन मोड में है. रिश्वतखोरी के मामले में लोकायुक्त पुलिस ने 3 महीने में कार्रवाई कर रिकॉर्ड बना लिया. 9 महीने के मुकाबले ज्यादा कार्रवाई 3 महीनों में हो चुकी है. आईपीएस अधिकारी जयदीप प्रसाद के लोकायुक्त डीजी बनने से कार्रवाई का आंकड़ा बढ़ा है. जानकारी के मुताबिक पिछले 3 महीने में 130 प्रकरण दर्ज किए गए हैं. उससे पहले 9 महीना का रिकॉर्ड देखा जाए तो लगभग 110 मामले ही दर्ज हुए थे.

मतलब साफ है कि लोकायुक्त पुलिस ने 3 महीने में रिकॉर्ड तोड़ कार्रवाई की है. लोकायुक्त डीजी जयदीप प्रसाद ने बताया कि भ्रष्टाचार की शिकायत का संज्ञान लेकर गंभीरतापूर्वक कार्रवाई की जाती है. उन्होंने आगे बताया कि प्रचार प्रसार से भी लोग जागरूक हुए हैं. लोकायुक्त पुलिस जनता के बीच जागरूकता अभियान समय समय पर चलाती है.

प्रचार प्रसार से लोग अब अधिकारियों के प्रति सजग हुए हैं. लोकायुक्त पुलिस को मिली शिकायत के आंकड़े गवाही दे रही हैं. इसलिए कार्रवाई के आंकड़े में भी बढ़ोतरी हुई है. लोकायुक्त पुलिस की छापेमारी का असर सरकारी दफ्तरों के काम काज पर साफ दिख रहा है. लोगों का काम तेजी से हो रहा है.

अधिकारियों और कर्मचारियों को रिश्वत के लिए मुंह खोलने से पहले सोचना पड़ता है. उज्जैन नगर निगम में मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाने आए जय किशन लोकायुक्त पुलिस की कार्यशैली से काफी खुश हैं. उन्होंने बताया कि भ्रष्टाचार से नगर निगम को थोड़ी मुक्ति मिल गई है. नगर निगम में पहले बिना रिश्वत दिए मृत्यु प्रमाण पत्र भी नहीं मिल पाता था. अब समय सीमा में लोगों का काम हो रहा है. अभी भी भ्रष्टाचार के मामलों में कई जांच पेंडिंग है.