रूस में 18 मार्च को होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव पर दुनिया की नजर है. बीते लगभग दो दशक से रूसी राजनीति के शीर्ष पर काबिज मौजूदा राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने अपनी उम्मीदवारी घोषित कर दी है. रूस में कोई ऐसा नाम नहीं दिख रहा है, जो पुतिन को चुनौती दे सके और माना जा रहा है कि वे फिर से निर्वाचित हो जायेंगे. रूसी राजनीति, पुतिन की छवि और चुनाव से जुड़े मुख्य बिंदुओं पर आधारित आज का इन-डेप्थ…
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के इस ऐलान से किसी को भी अचरज नहीं हुआ है कि वह अगले साल होनेवाले राष्ट्रपति चुनाव में फिर से उम्मीदवार होंगे. न ही किसी को इस बारे में कोई शक है कि जीत भी उनकी ही होगी. पिछले सत्रह साल से वह रूस में एकछत्र राज कर रहे हैं और अपनी सभी प्रतिद्वंद्वियों और आलोचकों को पूरी तरह से पछाड़-उखाड़ चुके हैं.
जनतांत्रिक राजनीति के दिखावे के लिए भले कोई अन्य उम्मीदवार मैदान में उतरे, परंतु पुतिन को टक्कर देने का सामर्थ्य किसी में दिखायी नहीं पड़ती है.
न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित लेख में सटीक टिप्पणी है कि पुतिन रूस का पर्याय बन चुके हैं. समसामयिक रूस की राजनीति, अर्थव्यवस्था और समाज-संस्कृति पर उनकी गहरी छाप है. इस समय पुतिन की उम्र 65 साल है और 2024 में वह 71 के होंगे. इसका अर्थ यह है कि चौथाई सदी के लंबे उनके शासन काल में रूसियों की एक पीढ़ी जन्म लेकर वयस्क हो चुकी होगी.
रूस में पुतिन की छवि
आबादी के बहुत बड़े हिस्से की यादें ज्यादा से ज्यादा 1990 के दशक की अराजक उथल-पुथल तक सीमित हैं, जब रूस टूट की कगार तक पहुंच चुका था. विदेशियों की नजर में भले ही पुतिन निर्मम तानाशाह दिखते हों, अधिकतर रूसी उन्हें ऐसा नेता मानते हैं, जिसने सोवियत संघ के विघटन के बाद उसकी हस्ती को बरकरार रखा है.
यहां विस्तार से इस बात का विश्लेषण संभव नहीं है कि कैसे तेल-गैस की आसमान छूती कीमतों ने रूसी खजाने को भरा अौर पुतिन को ताकतवर बनाया, पर इस बात को अनदेखा करना नामुमकिन है कि भ्रष्ट और प्रभावशाली धनकुबेरों (ओलिगार्कों) की नाक में नकेल कसने का काम पुतिन ने ही किया.
नौकरशाहों तथा साम्यवादी नेताओं की मदद से सार्वजनिक संपत्ति तथा संसाधनों को हथियानेवाले महत्वाकांक्षी व्यक्तियों को पुतिन ने शत्रु समझा और इनको कांटे की तरह निकाल फेंका. इस अभियान में कानून के राज की पश्चिमी अवधारणा या मानवाधिकारों के सिद्धांत को उन्होंने आड़े नहीं आने दिया. इसी कारण अमेरिका तथा पश्चिमी यूरोप में पुतिन की छवि खलनायक वाली है.

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