भोपाल। प्रदेश की दो रिक्त विधानसभा सीटों मुंगावली और कोलारस में कभी भी उपचुनाव की घोषणा हो सकती है। इसके लिए भाजपा जोर-शोर से जुटी है तो वहीं कांग्रेस ने इन विधानसभा क्षेत्रों को सांसद व पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंयिा के भरोसे छोड़ दिया है। अब तक वहां पीसीसी की तरफ कोई जिम्मेदारी नहीं बांटी गई, जबकि भाजपा ने मंत्रियों, विायकों व संगठन के नेताओं की ड्यूटी लगा दी हैं।

तीन महीने पहले मुंगावली विधानसभा सीट विधायक महेंद्र सिंह कालूखेड़ा के निधन और डेढ़ महीने पहले कोलारस सीट विधायक रामसिंह के निधन से रिक्त हुई है। इन सीटों के लिए अभी उपचुनाव की तारीख की घोषणा नहीं हुई है, लेकिन भाजपा ने इसके लिए कमर कस ली है।

वहीं प्रदेश कांग्रेस ने अभी तक कोई रणनीति नहीं बनाई है। पीसीसी के संगठन प्रभारी महामंत्री चंद्रिका प्रसाद द्विवेदी ने बताया कि गुजरात विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण के मतदान के बाद मुंगावली व कोलारस में ड्यूटी लगाई जाएंगी।

मुंगावली व कोलारस दोनों विधानसभा क्षेत्र सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र वाले हैं। दोनों विधायकों के निधन के बाद सिंधिया क्षेत्रों में अब तक लगभग दो सप्ताह से ज्यादा समय बिता चुके हैं। दलित सम्मेलन भी कर चुके हैं। इसके अलावा वे ‘सांसद आपके द्वार” प्रोग्राम भी कर चुके हैं। अभी फिर से वे 15 से 17 दिसंबर तक मुंगावली क्षेत्र में रहेंगे।

मुंगावली व कोलारस की स्थिति चित्रकूट विधानसभा उपचुनाव जैसी बनती नजर आ रही है। चित्रकूट नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह के प्रभाव वाला क्षेत्र माना जाता है और प्रत्याशी चयन से लेकर वहां जीत की जिम्मेदारी उन पर ही डाल दी गई थी। कांग्रेस के दूसरे नेता भी वहां पहुंचे, लेकिन वे स्टार प्रचारकों की तरह ही सभाएं करके लौट आए।

प्रत्याशी चयन में धुंधली तस्वीर

प्रत्याशी चयन में कांग्रेस में आज भी स्थिति धुंधली है। कोलारस में रामसिंह के पुत्र और पुुत्री दोनों दावेदार हैं। पुत्र महेंद्र जहां सक्रिय कांग्रेस नेता हैं तो पुत्री मिथिलेश जनपद अध्यक्ष हैं। वहीं मुंगावली में दावेदारों में कई नाम हैं, जिनमें कालूखेड़ा के भाई केेके सिंह भी संभावित प्रत्याशी में गिने जा रहे हैं।

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