बीजिंग: चीन की दक्षिण एशिया में प्रस्तावित वन बेल्ट वन रोड परियोजना के चैलेंज से पार पाने के लिए भारत की नई रणनीति सामने आई है। चीन के साथ इस मसले पर तनाव के बीच भारत आसियान देशों के साथ रिश्तों को और मजबूती दे रहा है जिसके तहत इसी हफ्ते दिल्ली में आसियान-भारत कनेक्टिविटी शिखर सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है।
चीन की प्रस्तावित वन बेल्ट वन रोड परियोजना के तहत बनने वाला चीन-पाक आर्थिक गलियारा जम्मू-कश्मीर के उस इलाके से होकर गुजरता है, जिसे भारत अपना मानता है। इसी के चलते इस परियोजना पर दोनों देशों के बीच तनाव की स्थिति है। अब भारत ने चीन को इस मोर्चे पर जवाब देने के लिए काउंटर-बैलेंस की रणनीति अपनाई है।
ये शिखर सम्मेलन (एआईसीएस) 11 से 12 दिसंबर को आयोजित होगा, जिसमें भारत और आसियान देशों के वरिष्ठ मंत्री हिस्सा लेंगे। साथ ही भारत सरकार के सड़क, परिवहन एवं राजमार्ग तथा पोत परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी शामिल होंगे। शिखर सम्मेलन में आसियान देशों के साथ नए समझौतों और रणनीतियों पर सहमति के साथ भारत को अपने निकटतम प्रतिद्वंदी चीन और पाकिस्तान को बैकफुट पर लाने में मदद मिल सकती है।
इस शिखर सम्मेलन में सभी 10 आसियान देश हिस्सा लेंगे। वहीं जापान भी आसियान का सदस्य न होने के बावजूद समिट का हिस्सा होगा। ये सम्मेलन इसलिए भी अहम माना जा रहा है क्योंकि इसे चीन की वन बेल्ट वन रोड परियोजना के जवाब के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल, ये भी एक जानकारी है कि जिन देशों से ये आर्थिक गलियारा संबद्ध होगा, उन्हें चीन के कर्ज तले दबना पड़ सकता है। ऐसे में भारत तकनीकी या आर्थिक तौर पर ऐसे देशों की मदद कर उनसे करीबी बढ़ा सकता है।

चीन की मंशा इस मेगा प्रोजेक्ट को पाकिस्तान, कजाकस्तान, सिंगापुर और तुर्की तक बढ़ाने समेत दूसरे पश्चिम एशियाई देशों तक ले जाने की है। आसियान में 10 देश शामिल हैं जिनमें वियतनाम, थाईलैंड, इंडोनेशिया, मलयेशिया, फिलीपींस, सिंगापुर, म्यांमार, कंबोडिया, लाओस और ब्रूनेई हैं।

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