पन्‍ना । मध्य प्रदेश के पन्ना में खदान में मिलने वाले हीरे किसी की भी किस्मत चमका देते हैं। पन्ना जाकर खुदाई करना और हीरे मिलने का सपना भारत के लोग ही नहीं बल्कि दुनिया भर के लोग देखते हैं। यही वजह है कि दुनियाभर से हजारों लोग अपनी किस्मत आजमाने के लिए पन्ना आते हैं, लेकिन जब किसी गरीब को खुदाई में हीरा मिलता है तो उसे कितनी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है इसका एक उदाहरण पन्ना में ही देखने को मिल जाता है।

दरअसल, पन्ना में खुदाई के दौरान एक आदिवासी परिवार को एक करोड़ रुपये का हीरा मिला था, लेकिन अभी तक इसकी नीलामी नहीं होने से परिवार बेहद तंगहाली झेल रहा है।

लीज पर खदान लेकर खुदाई करने वाले एक आदिवासी परिवार की किस्मत तब चमक गई जब एक दिन उसे खुदाई में 19 कैरेट का हीरा मिला, जिसकी कीमत करीब 1 करोड़ रुपये है। हीरा मिलने के बाद राजू आदिवासी ने इसे हीरा कार्यालय में जमा कर दिया था। इतने कीमती हीरे की नीलामी नहीं होने के चलते अब हीरा मालिक राजू आदिवासी का परिवार दाने-दाने को मोहताज है।

राजू आदिवासी का कहना है “हीरा जमा कर दिया था। हीरे की नीलामी अभी हुई नहीं है। उसे पैसों की सख्त जरूरत है। हीरा कार्यालय से 1 लाख रुपये मिले थे, जो खर्च हो गए, क्योंकि खदान खोदने के लिए कर्जा लिया था।”

हीरा मालिक राजू आदिवासी ने बताया “कुछ पैसे बाजार से भी उधार उठाए हैं। उसे चुकाना है। हीरा कार्यालय वाले बोल रहे थे कि दिवाली के समय हीरे की नीलामी होगी, जो अभी तक नहीं हुई है। अब पता नहीं कब तक हीरा बिकता है और कब पैसे मिलते हैं।”

हीरे की कीमत का 10 फीसदी ही मिल जाए तो राहत मिले
हीरा मालिक राजू आदिवासी ने बताया कि उसके परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है। हम लोग दाने-दाने को मोहताज हैं अगर हमें हीरे की कीमत का 10% ही मिल जाता है तो सब कुछ ठीक हो जाएगा।

राजू आदिवासी का घर प्रधानमंत्री आवास योजना से बना हुआ है, जिसमें उसके दो भाई रहते हैं। राजू आदिवासी अपने एक भाई और माता-पिता के साथ छोटी सी झोपड़ी बनाकर प्रधानमंत्री आवास के बगल में घर बनाकर रहता है।

राजू की झोपड़ी के बाहर तार की बाड़ी लगी हुई है। घर में शौचालय तक नहीं है, एक छोटा सा बाथरूम घर के बगल में बना हुआ है। राजू का कहना है कि उसे हीरे की कीमत का 10% यानी 10 लाख रुपये की सख्त जरूरत है, जिससे वह परिवार के गुजर-बसर का इंतजाम कर सके। कर्जदारों का पैसा भी देना है। राजू आदिवासी की मां सावित्री बाई बताती हैं कि पैसा नहीं है, जो 1 लाख रुपया मिला था, वह खर्च हो चुका है। हमारा परिवार बड़ा है, जल्द नीलामी हो जाए तो राहत मिले।