शिवपुरी । कोलारस के जिस निवोदा गांव में तीन मासूम बच्चों की मौत हुई है, वहां स्थिति यह है कि बंजारों के परिवार गांव से बाहर बस्ती बनाकर रहते हैं। चूंकि यह समाज दीवाली के दौरान गांव में कच्चे घरों की लिपाई-पुताई आदि के लिए गेरू, पोतनी आदि का उपयोग करता है। ऐसे में बंजारा समाज के लोग यह मिट्टी खोद कर गांव-गांव बेचते हैं। इसी के चलते बंजारा समाज के लोगों ने ही गांव के बाहर बने अपने घरों के पीछे यह मिट्टी खोदी थी।
मिट्टी खोदने के कारण जो गड्ढे बने, उन गड्ढों में बारिश के दौरान पानी भर गया। आ जब गांव के बच्चे इन्हीं गड्ढों के पास खेल रहे थे तभी इनमें से तीन बच्चे गहरे पानी में चले गए और फिर वापस लौट कर बाहर नहीं आ पाए।
छह बहनों के बीच एकलौते भाई ने तोड़ा दम
पानी में डूबकर मौत के आगोश में समाए बच्चों में शामिल 10 वर्षीय नीरज बंजारा छह बहनों के बीच एकलौता भाई था। नीरज की मौत के बाद गांव में मातम के दौरान कुछ लोगों को लगा कि बच्चे की सांसें चल रही हैं। इस पर ग्रामीण तहसीलदार की कार से बच्चे को दोबारा अस्पताल लेकर भागे, लेकिन रास्ते में फिर इस बात का अहसास हुआ कि बच्चे की मौत हो चुकी है तो फिर रास्ते से ही उसे वापस लाया गया।
झगड़े पर हो गए उतारू
जब गांव पहुंचे एसडीएम अनूप श्रीवास्तव एसडीओपी विजय यादव, सचिन भार्गव तहसीलदार, टीआई अजय जाट ने ग्रामीणों को यह समझाने का प्रयास किया कि बच्चों का पीएम कराना जरूरी है। इस पर गांव वाले प्रशासनिक अधिकारियों से झगड़ा करने पर उतारू हो गए, लेकिन पीएम के लिए राजी नहीं हुए।