मंदसौर। मध्यप्रदेश के मंदसौर में शिवना नदी में आज सुबह पांच लोगों के एक साथ डूबने का दर्दनाक हादसा सामने आया है। इस घटना में चार लोगों की डूब कर मौत हो गई है। जबकि एक 7 वर्षीय बालिका को ग्राम कोटवार ने सुरक्षित बाहर निकाल लिया हैं। डूबने वालों में बाइक पर सवार एक ही परिवार के चार लोग थे। जबकि उन्हें बचाने वाला एक युवक भी लापता है।

बताया जा रहा है कि सुबह साढ़े 10 बजे के लगभग नाहरगढ़ और बिलोद के बीच से गुजरने वाली शिवना नदी की पुल पर करीब डेढ़ फीट बाढ़ का पानी चल रहा था। इसी दौरान ग्राम मोरखेड़ा निवासी डूंगर सिंह और उसकी पत्नी अपनी दो बालिकाओं के साथ बाइक पर सवार होकर नदी पार करने की कोशिश कर रहे थे। इसी दौरान बाढ़ के तेज बहाव के कारण बीच नदी में जाकर उनकी बाइक स्लिप होकर नदी में गिर गई। बताया जा रहा है कि बाइक सवार कपड़ों से भरे बैग को बाइक की टंकी पर रखकर उसे पर दोनों बच्चों को बिठा रखा था और अचानक वह बैग उसके बाइक की पहिया में फस गया जिसके चलते चारों लोग नदी में जा गिरे। इस घटना के बाद नदी किनारे खड़े बबलू नामक युवक और राजेंद्र मालवीय कोटवार उन्हें बचाने के लिए नदी में कूदे।लेकिन बबलू नामक युवक भी नदी के तेज बहाव में बह गया। हांलाकि इस घटना में राजेंद्र मालवीय कोटवार ने 7 साल की एक बालिका को सुरक्षित बाहर निकाल लिया। जबकि संगीता बाई, डूंगर सिंह और डेढ़ साल की बालिका और बचाने गए युवक बबलू नदी में बह गए।

इस घटनाक्रम के बाद मंदसौर और सीतामऊ से गोताखोरों की टीम मौके पर पहुंची और उन्होंने महिला संगीताबाई और डेढ़ साल की बच्ची गुड्डी को के शव बाहर निकाल लिए। जबकि देर शाम तक भी बबलू और बाइक सवार डूंगर सिंह का कोई पता नहीं चल सका । हालांकि पुलिस और एनडीआरएफ की टीम ने दोनों के शव को नदी में ढूंढने की काफी कोशिश की। लेकिन तेज बारिश और नदी में बाढ़ के पानी के कारण काफी परेशानियों का सामना करना पड़ा। घटना के बाद एडिशनल एसपी गौतम सोलंकी मौके पर पहुंचे और उन्होंने भी मामले में स्थानीय लोगों से बातचीत की। एडिशनल एसपी ने बताया कि मरने वाले एक ही परिवार के लोग हैं और यह मंदसौर के गांव मोरखेड़ा के निवासी हैं। सभी बिल्लोद से वापस अपने गांव की ओर लौट रहे थे ।इसी दौरान यह हादसा हुआ। इस घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के नेताओं ने नदी पर पुल बनाने की मांग और मृतकों के परिवार को एक-एक करोड रुपए का मुआवजा देने की मांग को लेकर धरना दे दिया। जबकि प्रशासन के अधिकारियों ने मामले में शासन से उचित सहयोग दिलवाने का आश्वासन देते हुए धरने पर बैठे नेताओं को उठाया।