दिल्ली में कोचिंग हादसे के बाद से एमसीडी सवालों के घेरे में आ गई है। विरोध प्रदर्शन करने वाले छात्र एमसीडी पर शहर में बदहाली फैलाने का आरोप लगा रहे हैं। छात्रों का कहना है कि दिल्ली सरकार और एमसीडी की आंख के नीचे शहर में कई ऐसे कोचिंग सेंटर हैं जिनका संचालन बेसमेंट में किया जा रहा है, लेकिन उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। दूसरी ओर दिल्ली सरकार आरोपों से पल्ला झाड़ती नजर आई है।

टीवी9 ने जब दिल्ली सरकार के मंत्री सौरभ भारद्वाज से सवाल किया कि किशोर नामक एक छात्र ने जून में ही इस कोचिंग सेंटर के खिलाफ केंद्र, दिल्ली सरकार और MCD को पोर्टल के जरिए शिकायत दी थी लेकिन एक्शन नहीं लिया गया। इस पर मंत्री ने जवाब देते हुए कहा कि उस छात्र की शिकायत पर केंद्र सरकार, दिल्ली सरकार या MCD के जिस जिम्मेदार अधिकारी ने एक्शन नहीं लिया उसको ITO चौराहे पर फांसी पर लटका दो। मैं आपके साथ हूं, लेकिन कोई करें तो।

दिल्ली सरकार के मंत्री ने कहा कि कल हमने दिल्ली में जलभराव की समस्या को लेकर चर्चा की। हालांकि की दिल्ली में डिसिल्टिंग (गाद निकालने) का काम MCD, NDMC, DDA, PWD करती है। मैंने एक मीटिंग का वीडियो डाला है। सब कैमरे पर था। उसके बावजूद अधिकारियों का बर्ताव देखिए। आप किसी भी एक्सपर्ट से बात कर लीजिए वो यही बताएंगे की मानसून से पहले गाद निकालने से ही जलभराव की समस्या दूर होगी।

उन्होंने कहा कि देखने को मिलता है कि सड़क किनारे गाद निकलने की शिकायत आती थी। वो नहीं आई तो लगा कि गाद निकालने का काम नहीं किया गया। वहीं बात मैंने मीटिंग में रखी थी। सबसे पहले इस मामले पर 6 फरवरी को गाद निकालने के लिए मीटिंग करने के लिए नोटिस जारी किया। इसमें चीफ सेक्रेटरी, MCD कमिश्नर, DDA के वाइस चेयरमैन समेत संबंधित विभागों के अधिकारियों को बुलाया था, लेकिन बैठक में एक भी IAS अधिकारी नहीं आए। 

मंत्री ने कहा कि डिसिल्टिंग को लेकर ये अधिकारी कितने गंभीर थे इसी से पता चलता है। मैंने लिखा भी था। इस मामले में संसद की कमेटी या सुप्रीम कोर्ट भी जांच करें तो मैं ये पेपर और सहयोग करने के लिए तैयार हूं। एक एग्जीक्यूटिव अधिकारी क्या कर सकता था, बैठक में अधिकारी नहीं आए।