नई दिल्ली। पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी ट्रेन एक्सीडेंट मामले में अब एक नया खुलासा हुआ है। समाचार एजेंसी पीटीआई ने रेलवे सूत्रों के हवाले से दावा किया कि रानीपतरा रेलवे स्टेशन और छत्तरहाट जंक्शन के बीच ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम सुबह 5.50 बजे से खराब था। ट्रेन नंबर 13174 सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस सुबह 8.27 बजे जब रंगपानी स्टेशन से रवाना हुई और सिग्नल खराब होने के कारण रानीपतरा रेलवे स्टेशन और छत्तर हाट के बीच रुक गई। तभी पीछे से आकर मालगाड़ी ने टक्कर मार दी। ऐसे में अब इस दुर्घटना को लेकर बड़े सवाल उठ रहे हैं। इससे पहले रेलवे बोर्ड की अध्यक्ष और सीईओ जया वर्मा सिन्हा ने बताया था कि मालगाड़ी के ड्राइवर ने सिग्नल की अनदेखी की और ट्रेन आगे लेकर चला गया जिसके चलते कंचनजंगा एक्सप्रेस में पीछे से टक्कर मार दी।
रेलवे के अधिकारी के मुताबिक जब ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम खराब हो जाता है तो स्टेशन मास्टर ‘टीए 912’ नामक एक लिखित लेटर जारी करता है, जो ट्रेन चालक को सिग्नल में खराबी के कारण उस सेक्शन के सभी रेड सिग्नलों को धीमी गति से पार करने की अनुमति देता है। बताया जा रहा है कि रानीपतरा के स्टेशन मास्टर ने ट्रेन सियालदह कंचनजंगा एक्सप्रेस के ड्राइवर को टीए 912 जारी किया था। अब ये जांच से ही पता चलेगा कि क्या मालगाड़ी के ड्राइवर को भी खराब सिग्नल पार करने के लिए टीए 912 जारी किया गया था या फिर लोको उसने नियम का उल्लंघन करते हुए अपनी मर्जी से ही ट्रेन आगे बढ़ा दी। ऐसे में रेलवे सुरक्षा को लेकर बड़े सवाल उठना लाजिमी है। सुबह 5.50 बजे से सिग्नल खराब था और एक्सीडेंट 8.55 बजे हुआ तो तीन घंटे में सिग्नल क्यों नहीं ठीक किया गया।
दूसरी तरफ, लोको पायलट संगठन ने रेलवे पर सवाल उठाते हुए कहा है कि लोको पायलट की मृत्यु हो जाने और सीआरएस जांच लंबित होने के बाद लोको पायलट को ही इस हादसे का जिम्मेदार घोषित करना पूरी तरह से अनुचित है। इस बीच कंचनजंगा एक्सप्रेस से क्षतिग्रस्त डिब्बों को हटाकर उसे रवाना कर दिया जिसके बाद ट्रेन अब अलुआबारी रोड जंक्शन पर पहुंच गई है।