भिण्ड। राजस्थान के किशनगढ निवासी राजू श्रीवास ने अपनी बहू नेहा को बेटी मान कर सामूहिक विवाह सम्मेलन में बहू का कन्यादान लिया और उसे विदा किया तो मौके पर उपस्थित हर किसी की आंखें भर आईं। जिस बहू को डेढ साल पहले विदा करा के अपने घर लाए थे उसी बहू को बेटी बनाकर अपने घर से विदा किया। समाज ने उनकी पहल को सराहा बल्कि कई लोग इस नव युगल की मदद को आगे भी आए। वे उन लोगों के लिए भी प्रेरणास्रोत बने, जो आज भी विधवा विवाह को कुरीति मानते हैं।
बताया गया है कि 20 अप्रैल 2016 को राजू श्रीवास के बेटे टिंकू से नेहा का विवाह धूमधाम से हुआ था। लेकिन शादी के दो महीने बाद अजमेर-किशनगढ़ रोड पर हुए एक सड़क हादसे में टिंकू की मौत हो गई। पति की मृत्यु के बाद नेहा के जीवन में अंधेरा छा गया। उसने सास-ससुर का अपने माता पिता की तरह ख्याल रखना शुरू किया। जवान बेटे के मौत के गम ने नेहा के सास और ससुर को भी तोड़कर रख दिया था। उसके बाद भी टिंकू के माता-पिता ने हिम्मत नहीं हारी। बहू नेहा को बेटी के समान मानते हुए नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए मनाया।
श्रीवास समाज के मनोज श्रीवास ने बताया कि ससुर राजू श्रीवास अपनी बहू नेहा की शादी करने के लिए उसको परिवार सहित भिण्ड लेकर आए। नेहा के पुनर्विवाह के बारे में जब भिण्ड की बांके बिहारी सेवा समिति के लोगों को पता चला तो वे मदद के लिए आगे आए। उन्होंने प्रस्ताव दिया कि नेहा और अमन की शादी हमारे सामूहिक विवाह सम्मेलन से करें। जिस पर वर और वधु पक्ष के दोनों लोग राजी हो गए। लेकिन सामूहिक विवाह सम्मेलन से पहले नेहा और अमन की शादी की अधिकांश रस्में घर पर ही की गई थीं।
नेहा के पुनर्विवाह में कुछ लोगों ने समाज और रीति-रिवाज की दुहाई देते हुए अड़ंगा लगाने की कोशिश भी की। लेकिन परिवार के सदस्य अपनी विधवा बहू के जीवन में खुशियां भरने की ठान चुके थे। उन्होंने हार नहीं मानी। उनकी कोशिश कामयाब भी हुई। भिण्ड शहर के मातादीन का पुरा निवासी अमन श्रीवास ने नेहा के सूने जीवन में खुशियां लौटाने का संकल्प लेते हुए उसका हाथ थाम लिया।