नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के बीच क्षत्रिय समुदाय के लोगों का अचानक मोर्चा खोल देना भाजपा के लिए अच्छा संकेत नहीं है. खास तौर से पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कैराना, मुजफ्फरनगर और सहारनपुर लोकसभा सीट के तहत आने वाले ठाकुर बहुल गांवों में खासतौर से इस बात का ऐलान किया जा रहा है कि क्षत्रिय समाज उसे ही वोट करेगा जो भाजपा को हराएगा.
उत्तर प्रदेश में ठाकुरों की आबादी तकरीबन 7 प्रतिशत है, भाजपा अब तक 12 प्रतिशत को टिकट दे चुकी है. इसके बावजूद क्षत्रिय समाज के इस फैसले के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या क्या क्षत्रिय समाज के वोटर भाजपा से नाराज हो गए हैं? दरअसल क्षत्रिय समाज के कई संगठनों ने यूपी से लेकर गुजरात तक यही माहौल बना रखा है. पश्चिमी यूपी में चार क्षत्रिय पंचायत करने का ऐलान हुआ है. दावा है कि बीजेपी को हराने वाले उम्मीदवारों का समर्थन करेंगे.
सहारनपुर में रविवार को क्षत्रिय समाज की पंचायत हुई, इसमें मंच पर लगे बैनर पर लिखा है कि क्षत्रिय स्वाभिमान महाकुंभ. रविवार को सहारनपुर के नानौत में ठाकुर समाज के हज़ारों लोग जुटे. मंच से बीजेपी को हराने की कसमें खाई गईं. इनका आरोप है कि बीजेपी राजनैतिक रूप से ठाकुर समाज को खत्म करना चाहती है. क्षत्रिय समाज के नेता पूरन सिंह का भी तकरीबन यही कहना है. क्षत्रिय समाज ने 11 अप्रैल को हापुड़ के धौलाना में 13 तारीख़ को मुज़फ़्फ़रनगर के सिसौली में और 16 को मेरठ के सरधना में पंचायत करने का मन बनाया है. ऐसी ही एक पंचायत नोएडा में भी होगी.
आखिर अचानक ऐसा क्या हो गया कि क्षत्रिय समाज बीजेपी के विरोध में सड़क पर है. दरअसल माना ये जा रहा है कि यूपी में क्षत्रिय समाज के नाराज होने की कहानी गाजियाबाद से शुरू हुई. जब मोदी सरकार में मंत्री जनरल वी के सिंह का टिकट कट गया. अब वहां से अतुल गर्ग चुनाव लड़ रहे हैं. हालांकि पीएम नरेन्द्र मोदी ने गाजियाबाद के रोड शो में अपनी गाड़ी में गर्ग के साथ जनरल सिंह को भी साथ रखा था. इसके अलावा इसका कनेक्शन गुजरात से भी जोड़ा जा रहा है.
दरअसल केंद्रीय मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला राजकोट ये चुनाव लड़ रहे हैं. उनके एक बयान के खिलाफ क्षत्रिय संगठनों ने आंदोलन शुरू कर दिया. कुछ महिलाओं ने तो जौहर करने की घोषण कर दी. विवाद बढ़ा तो रूपाला ने माफी मांग ली. इसके बाद भी क्षत्रिय समाज के लोगों की तैयारी कल गांधीनगर में बीजेपी ऑफिस का घेराव करने की है.
यूपी में हंगामा मचा है. वैसे तो अब तक ठाकुर जाति के एक ही नेता वी के सिंह का टिकट कटा है. लेकिन क्षत्रिय संगठन ऐसा माहौल बना रहे हैं कि बीजेपी उनकी दुश्मन है. बीजेपी ने अब तक यूपी में 63 सीटों पर टिकट फाइनल किए हैं. इनमें आठ इसी जाति के हैं. इनमें मुरादाबाद से सर्वेश सिंह, लखनऊ से राजनाथ सिंह, अकबरपुर से देवेन्द्र सिंह भोले, हमीरपुर से पुष्पेन्द्र सिंह चंदेल, फैजाबाद से लल्लू सिंह, गोंडा से कीर्ति वर्धन सिंह, डुमरियागंज से जगदंबिका पाल, जौनपुर से कृपा शंकर सिंह.
यूपी में क़रीब सात प्रतिशत ठाकुर जाति के वोटर हैं. एक दौर में बिरादरी के लोग पहले कांग्रेस, फिर समाजवादी पार्टी और बीएसपी के साथ रहे. लेकिन अब वे बीजेपी के कट्टर समर्थक माने जाते हैं. ये भी कहा जा रहा है कि क्षत्रिय पंचायतों को बीजेपी के कुछ नेता पीछे से समर्थन दे रहे हैं. करणी सेना भी साथ है. जबकि अखिलेश यादव तो योगी सरकार पर ठाकुर समाज को बढ़ावा देने के आरोप लगाते रहे हैं.