नई दिल्लीः एक तरफ भारत की सबसे बड़ी अदालत में रोहिंग्या मुस्लिमों के देश में रहने या ना रहने को लेकर बहस जारी है. वहीं दूसरी तरफ रोहिंग्या मुस्लिमों को लेकर उत्तर पूर्वी राज्य नगालैंड की पुलिस की खुफिया जानकारी हैरान करने वाली है. नगालैंड पुलिस की खुफिया विभाग की इकाई ने गुरुवार (12 अक्टूबर) को स्थानीय लोगों पर हमले की आशंका जताई. समाचार एजेंसी एएनआई ने नगालैंड पुलिस की खुफिया इकाई के सूत्रों के हवाले से दावा किया है कि दीमापुर का एक इमाम के रोहिंग्या विद्रोहियों के संपर्क में होने की भी पुष्टि की. खबर है कि इसके लिए बांग्लादेश से भारी मात्रा में हथियार और गोला-बारूद एकत्र करने शुरू कर दिए हैं. खुफिया एजेंसी के अनुसार रोहिंग्या उग्रवादियों की वजह से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है.
अधिकारियों के अनुसार, बाहर निकालने की कोशिश होने पर 2,000 मुसलमानों ने नागाओं के खिलाफ हथियार उठाने के लिए तैयार है. इमाम की नागालैंड के हेब्रोन और केहो कैंप के हमले पर हमला करने की योजना हैं, जिससे की उनके लिए नागालैंड पर कब्जा करना सुविधाजनक होगा. रिपोर्ट के अनुसार आईएसआईएस से जुड़े करीब 20 आतंकवादी नगालैंड में उग्रवादियों को ट्रेनिंग देने के लिए घुसपैठ कर चुके हैं. रिपोर्ट के अनुसार नगालैंड में आत्मघाती धमाके और हमले भी कराए जा सकते हैं. रिपोर्ट के बाद दीमापुर में संदिग्ध मुसलमानों की गतिविधियों पर नजर रखने के निर्देश दिये गये हैं.
एजेंसी ने बीएसएफ के रिटायर्ड आईजी वीके गौड़ के अनुसार शरणार्थी कैम्पों में नए लोगों के आने पर रोक लगाने की जरूरत है. गौड़ के अनुसार ये माना जा रहा है कि रोहिंग्या शरणार्थी कैम्पों में पाकिस्तानी आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा, अल-कायदा, जमात-ए-इस्लामी, छात्र शिबिर, इस्लामिक स्टेट और दूसरे मुस्लिम आतंकवादी संगठनों के लोग घुसपैठ कर चुके हैं. इन कैम्पों में राहत सामग्री बांटने में कई मुस्लिम देश मदद कर रहे हैं और आतंकवादी इसका फायदा उठा रहे हैं. गौड़ ये दावा भी किया की भारतीय सुरक्षा बलों में भी ऐसे लोग हैं जिनकी सहानुभूति उग्रवादियों के साथ है. रिपोर्ट के अनुसार भारत और बांग्लादेश की 4096 किलोमीटर लम्बी अंतरराष्ट्रीय सीमा पर 140 ऐसी जगहों की पहचान की गयी है जहाँ से रोहिंग्या आतंकवादी घुसपैठ कर सकते हैं.
कौन है रोहिंग्या
म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमान नस्ली अल्पसंख्यक हैं. 1982 में म्यांमार ने रोहिंग्या की नागरिकता का अधिकार खत्म कर दिया था. म्यांमार सरकार रोहिंग्या को बांग्लादेश से आए हुए अवैध घुसपैठिए मानती है. अगस्त 2017 में रोहिंग्या उग्रवादियों द्वारा म्यांमार के सुरक्षा बलों पर हमला किया गया. उसके बाद म्यांमार की सेनी ने रोहिंग्या उग्रवादियों के खिलाप अभियान शुरू कर दिया. रोहिंग्या का दावा है कि सेना बेकसूर लोगों को भी मार रही है. लाखों रोहिंग्या पिछले कुछ महीनों में म्यांमार से पलायन कर चुके हैं. सबसे ज्यादा रोहिंग्या बांग्लादेश में शरण लिए हुए हैं. भारत एवं अन्य मुस्लिम देशों में भी रोहिंग्या शरण ले रहे हैं.