दतिया। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के दतिया जिले के सेंवढ़ा में गांव धर्मपुरा से स्कूल गया कक्षा 8वीं का छात्र बस से मामा से मिलने के लिए निकला। बस में एक साधु ने उसे प्रसाद खिलाया इसके बाद वह बेहोश हो गया। होश आया तो उसने खुद को हरिद्वार में साधुओं के बीच पाया। बाद में उसे एक होटल में बेच दिया गया। होटल में उसे पड़ोस के गांव के एक ट्रक ड्राइवर ने देखा तो पहचान लिया। वह उसे ट्रक से ही वापस ले आया।
दतिया में सेंवढ़ा के धर्मपुरा गांव का युवराज 20 सितम्बर को स्कूल जाने के लिए निकला था। स्कूल के बाद 8वीं का छात्र 14 साल का युवराज अपने मामा से मिलने जाने के लिए बस में बैठ गया।
बस में युवराज के पास आकर एक साधु बैठ गया। साधु ने युवराज को खाने के लिए प्रसाद दिया, इसे खाते ही युवराज बेहोश हो गया। इसके बाद जब उसे होश आया तो उसने खुद को हरिद्वार में साधुओं के बीच पाया। साधुओं ने उसके बाल काट कर चोटी छोड़ दी थी। युवराज को अपहरणकर्ता साधू बनाना चाहते थे, लेकिन बाद में उसे एक होटल में बेच दिया गया। होटल में उससे दिन भर काम लिया जाता था, और खाने के लिए दो बार 2-2 रोटियां दी जाती थीं। एक दिन पड़ोस के गांव का ट्रक ड्राइवर उस होटल पर पहुंचा, उसने देखते ही युवराज को पहचान लिया। ड्राइवर ने युवराज से पूछताछ के बाद होटल से ही सेंवढ़ा पुलिस थाने में फोन किया तो होटल मालिक डर गया उसने युवराज को ड्राइवर के सुपुर्द कर दिया। ड्राइवर ने युवराज के परिजन को सूचना भिजवा दी कि उनका बेटा मिल गया है। इसके बाद जब वह वापस घर आया तो युवराज को साथ लेकर आया।
घर वापस लौटे युवराज के बाल कटे हुए थे, साधुओं ने सिर पर एक चोटी छोड़ दी थी। घर पहुंचा युवराज सहमा हुआ था। उसने न तो किसी से बात की और न ही किसी के सवालों का जवाब दिया।
घर पहुंचते ही युवराज ने सबसे पहले अपनी 3 साल की छोटी बहन को गले से लगा लिया। मां रामवती एवं पिता विजय जाटव को जैसे ही युवराज मिला उनके चेहरे खिल गए। डरा हुआ युवराज मां की गोद में बैठ गया। इसके बाद देर तक वह कुछ नहीं बोला सोता रहा।

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