नई दिल्ली । भागती दौड़ती जिदंगी और आहार में बदलाव पेशाब का रंग बदलने का सबसे बड़ा कारण है। पेशाब के बदलते हुए रंग से व्यक्ति अपनी सेहत के बारे में कई बातें जान सकता है. ऐसे में आइए जानते हैं अगर आपके पेशाब का रंग पीला रहता है तो ये आपकी सेहत के बारे में क्या इशारा करता है.
आपके ज़हन में बहुत बार ये सवाल आया होगा कि पेशाब पीला क्यों होता है? हो सकता है आप इसका जवाब तलाशने की कोशिश किये हों. किसी किताब में ढूंढें हों, इंटरनेट पर खोजे हों. शायद ही वो जवाब आपको मिल पाया हो जो आपके जिज्ञासा शांत कर पाया हो. मिलता भी कैसे ? खुद वैज्ञानिक बहुत दिनों से इस सवाल का जवाब खोज रहे. आखिरकार अब उन्हें इस सवाल का जवाब मिल पाया है. बहुत दिनों से शोधकर्ता इस पहेली को सुलझाने में लगे हुए थे, लेकिन अब जाकर एक नए अध्ययन में इस गुत्थी को सुलझाने का दावा किया गया है.
वैसे तो पेशाब के पीले रंग के का होने पीछे कई कारण हैं. जिनमें से पानी का कम पीना एक प्रमुख कारण है. लेकिन ये जवाब तो एक डॉक्टर और मरीज के लिहाज से सही है. हम इस आर्टिकल में जानेंगे कि आखिर पेशाब पीले रंग का होता ही क्यों है? मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर ब्रैटले हॉल और उनकी टीम ने एक अध्ययन में ये पता लगाया है कि पेशाब का रंग पीला क्यों होता है. ये अध्ययन दुनिया के फेमस वेबसाइट नेचर माइक्रोबायोलॉजी में प्रकाशित किया गया है.
यूरीन में पानी के साथ होता है कचरा
इस स्टडी में बताया गया है कि इंसान के यूरीन में ढेर सारा पानी के साथ किडनी और खून से छना हुआ कचरा होता है. ये कचरा खास तौर से डेड रेड सेल्स(लाल रक्त कोशिकाएं) होती हैं. ये सेल्स हीमोग्लोबिन के जरिए खून में ऑक्सीजन पहुंचाने का काम करती हैं. इन लाल कोशिकाओं का 6 महीने का जीवन होता है. जब लाल कोशिकाएं खत्म होती हैं तो हीम नाम का पदार्थ बनाती हैं. इस हीम से ऐसी घटनाओं की शुरुआत होती है जिसकी वजह से पेशाब पीली हो जाती है. लेकिन ये बातें तो शोधकर्ता पहले से जानते थे.
पेशाब पीला होने का विज्ञान
वैज्ञानिकों ने पाया है कि पेशाब के पीला रंग होने का सबसे बड़ा कारण बिलीरुबिन रेड्यूक्टेज (bilirubin reductase) है. ये एक ऐसा एंजाइम है जो बिलीरूबिन के मेटाबॉलिज्म के लिए जिम्मेदार होता है. ये एक पीला पिगमेंट होता है जो रेड बल्ड सेल से हीम के तोड़ता है. जब रक्त कोशिकाएं छह महीने का जीवन पूरा कर लेती हैं तो ये गढ़ा नारंगी रंग का हो जाता है. इसे बिलीरूबिन कहते हैं. पेट में कुछ ऐसे केमिकल रिएक्शन होते हैं जो बिलीरुबिन को यूरोबिलन अणु में बदल देते हैं. ये अणु ऑक्सीजन के रहते पीले रंग का हो जाता है.
शोध में शामिल लोगों का कहना है कि पेट के सूक्ष्मजीवों का अध्ययन करना बहुत ही मुश्किल काम होता है. यही कारण है कि इसका पता लगाने में इतना समय लगा है.