कानुपर । कानपुर में सर्दी से एक शख्स कांपा तो श्मसान घाट की जलती चिताओं के बीच सो गया। भैरो घाट में देर रात दो बजे के नजारे का वीडियो वायरल हुआ तो अफसरों में हड़कंप मच गया। नौ गाड़ियों से अफसरों का काफिला भैरो घाट पहुंचा और उस अधेड़ की तलाश में जुट गया। दोपहर दो बजे के बाद अफसरों ने तब चैन की सांस ली जब घाट की सीढ़ियों से हूबहू उसी कद काठी का शख्स आता दिखा जो वायरल वीडियो में नजर आ रहा था। तस्दीक से यह स्पष्ट हो गया कि यही अधेड़ रात में जलती चिताओं के बीच सो रहा था। पूछताछ में पता चला कि अधेड़ का नाम प्रवीन शंकर(48) है।
पुराना मकान 1 करोड़ से अधिक कीमत का
एडीएम न्यायिक सूरज यादव संग अपर नगर आयुक्त एवं अन्य अफसरों श्मशान में लेटने की वजह पूछी। प्रवीण शंकर ने बताया कि चिताओं के बीच वह करीब 20 साल से लेट रहे हैं। वह वहीं रहते हैं। घाट और मंदिर आने वाले लोग उन्हें जो कुछ दे देते हैं वह उसी से अपना गुजारा करते हैं। वहां से प्रवीण को उसके पुराना कानपुर स्थित आवास लाया गया। जहां बरसों से ताला बंद पड़ा था। बंद पड़े मकान को देखकर अफसर अवाक रह गए। हकीकत यह है कि पुराना कानपुर में बैराज के पास स्थित प्रवीण शंकर के इस मकान की कीमत लगभग 1 करोड़ से अधिक ही होगी।
एवं अन्य अफसरों श्मशान में लेटने की वजह पूछी। प्रवीण शंकर ने बताया कि चिताओं के बीच वह करीब 20 साल से लेट रहे हैं। वह वहीं रहते हैं। घाट और मंदिर आने वाले लोग उन्हें जो कुछ दे देते हैं वह उसी से अपना गुजारा करते हैं। वहां से प्रवीण को उसके पुराना कानपुर स्थित आवास लाया गया। जहां बरसों से ताला बंद पड़ा था। बंद पड़े मकान को देखकर अफसर अवाक रह गए। हकीकत यह है कि पुराना कानपुर में बैराज के पास स्थित प्रवीण शंकर के इस मकान की कीमत लगभग 1 करोड़ से अधिक ही होगी।
पिता अंग्रेज फौज में थे, मां की भी हो चुकी मौत
प्रवीण शंकर दुबे ने बताया कि उनके पिता प्रेम शंकर ब्रिटिश इंडियन रॉयल आर्मी में वर्ष 1944 में भर्ती हुए थे। उनकी मौत हो चुकी है। मां की मौत तो काफी पहले हो चुकी थी। उन्हें बड़े भाई विजय शंकर दुबे की याद हैं। विजय की भी वर्ष 2008 में मौत हो गई। भाई की पत्नी चार बेटियों व एक बेटे को लेकर कहीं चली गई। इसके बाद से प्रवीण शंकर दिमागी रूप से बीमार हो गए।
एमए पास हैं प्रवीण, बच्चों को देता था ट्यूशन
मानसिक रुप से विक्षिप्त प्रवीण शंकर इन दिनों भले ही भिखारियों जैसे दिखने लगे हों मगर वह पोस्ट ग्रेजुएट हैं। उन्होंने बताया कि बीएसएसडी कॉलेज से समाज शास्त्र से एमए करने के बाद वह मोहल्ले में कोचिंग क्लास चलाते थे। वर्ष 2007 के आसपास उनकी कोचिंग का मोहल्ले में बहुत नाम था। पड़ोसी कृष्ण कुमार गुप्ता बताते हैं प्रवीण एक संभ्रांत परिवार से हैं लेकिन माता-पिता और फिर भाई की मौत से वह दिमागी संतुलन खो बैठे और भिक्षावृत्ति कर जीवन यापन करने लगे।
घर में रहने को कहा अफसरों को बताए अधिकार
अधिकारियों ने प्रवीण से बातचीत कर उन्हें श्मशान के बजाए घर पर ही आराम करने को कहा तो वह भड़क उठे। संविधान के अनुच्छेदों के अनुसार घूमने-फिरने और रहने की स्वतंत्रता के बारे में बताया। अफसरों के सामने ताबड़तोड़ कानूनी धाराओं के बारे में बताने लगे। फर्राटेदार अंग्रेजी में नागरिक के अधिकार का ज्ञान कराया। यह कहा कि श्मसान में चिताओं के बीच लेटना अपराध की श्रेणी में नहीं आता।
रैन बसेरा में रहने से इन्कार, फिर से चले गए श्मशान
अधिकारियों ने प्रवीण से कहा कि वह घर पर ही उनके रहने लायक व्यवस्था करा देंगे लेकिन वह नहीं माने। बाद में उन्हें भैरो घाट स्थित रैन बसेरा ले जाकर वहां रहने के इंतजाम दिखाए गए। इस पर भी वह भड़क गए और अधिकारियों से परेशान न करने के लिये कहता हुए फिर से श्मशान घाट की ओर चले गए। अधिकारी चुपचाप देखते रह गए।
एडीएम न्यायिक सूरज यादव ने बताया कि भैरोघाट में प्रवीण शंकर दुबे मिले थे। उनके परिवार में कई मौतें होने की वजह से वह दुखी है। इसलिए भैरोघाट में लेट गए। वह अकेले हैं। उनके घर में ताला बंद है। इसलिए उनको खाना खिलाकर रैन बसेरा में रुकवा दिया गया है।