भोपाल । मध्य प्रदेश सरकार ने मंगलवार को भोपाल की सड़कों से बस रैपिड ट्रांजिट सिस्टम यानी बीआरटीएस (BRTS) को हटाने का फैसला किया है. मोहन यादव ने सीएम बनने के बाद जो पहला बड़ा निर्णय लिया है, वो भोपाल की बीआरटीएस को हटाने का लिया है.
आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया कि यह निर्णय यहां मुख्यमंत्री मोहन यादव की अध्यक्षता में निर्वाचित प्रतिनिधियों की बैठक में लिया गया. सार्वजनिक परिवहन की बसों के लिए बीआरटीएस एक समर्पित लेन थी. इसे 15 साल पहले भोपाल में लागू किया गया था. घनी आबादी वाले इलाकों से होकर गुजरने वाले इसके एक बड़े हिस्से को पहले ही हटा दिया गया था.
व्यस्त सड़कों पर ट्रैफिक का दबाव कम करने की कोशिश
विज्ञप्ति में कहा गया है कि स्थानीय जन प्रतिनिधियों की मांग पर सर्वसम्मति से निर्णय लिया गया कि बीआरटीएस को सभी सड़कों से हटा दिया जाना चाहिए. इसमें कहा गया है कि जन प्रतिनिधियों का विचार था कि इससे व्यस्त सड़कों पर दबाव कम होगा और बीआरटीएस को लागू करने के बजाय स्थानीय परिवहन प्रणाली को और अधिक सुविधाजनक बनाया जा सकता है.
360 करोड़ रुपये खर्च करके लागू की गई थी परियोजना
बताते चलें कि भोपाल में एक दशक पहले 360 करोड़ रुपए खर्च करके शिवराज सरकार ने बीआरटीएस सिस्टम बनवाया था. शिवराज सरकार ने बीआरटीएस सिस्टम को लागू करते वक्त दावा किया गया था कि इससे भोपाल में ट्रैफिक जाम की परेशानी खत्म हो जाएगी.
मगर, अब मोहन यादव सरकार का कहना है कि बीआरटीएस की वजह से ही भोपाल के लोगों को ट्रैफिक जाम की दिक्कत उठानी पड़ रही है. लिहाजा, इसे चरणबद्ध तरीके से हटाया जाएगा. अब इसकी जगह पर सेंट्रल रोड डिवाइडर बनाने पर सहमति बनी है. माना जा रहा है कि बीआरटीएस को हटाकर सेंट्रल रोड डिवाइडर बनने के बाद ट्रैफिक जाम की परेशानी को काफी हद तक दूर किया जा सकेगा.