ग्वालियर। मध्यप्रदेश के चंबल संभाग के भिण्ड शहर में पहली बार एक साथ 7 आर्यिकाओं ने संसारिक मोह त्यागकर जैनमुनि दीक्षा ली है। दीक्षा समारोह से पहले शहर भर में भव्य शोभायात्रा निकाली गई। मध्यप्रदेश के पन्ना जिले की रहने वाली 6 आर्यिकाएं और उत्तरप्रदेश के झांसी जिले की आर्यिका को आर्यिका गणिनी विभाश्री माताजी ने भिण्ड स्थिति कीर्तिस्तंभ परिसर में दीक्षा दिलाई और सांसारिक नाम के स्थान पर उनका नया नामाकरण संस्कार किया गया। दीक्षा के दौरान परिजन और श्रद्धालुओं ने आर्यिकाओं को पिच्छी और कमंडल दिए गए।
आर्यिका गणिनी विभाश्री माताजी से दीक्षा लेने के बाद पन्ना जिले के देवेंद्र नगर निवासी प्रकाशचंद्र जैन की बेटी राजुल जैन अब आर्यिका श्री 105 सर्वश्री माताजी कहलाएंगी। इनकी छोटी बहन प्रीति जैन अब आर्यिका श्री 105 शुभश्री माताजी, पन्ना के देवेंद्र नगर निवासी जयकुमार जैन की बेटी रोशनी जैन अब आर्यिका श्री 105 सिद्धिश्री माताजी, जयकुमार जैन की छोटी बेटी नेहा जैन अब आर्यिका श्री 105 संयमश्री माताजी, देवेंद्र नगर के शरदकुमार जैन की बेटी शिखा जैन अब आर्यिका श्री 105 साम्यश्री माताजी, देवेंद्र नगर के प्रमोद जैन की बेटी प्रियंका जैन अब आर्यिका श्री 105 समयश्री माताजी और उत्तरप्रदेश झांसी के करधामा निवासी अशोक कुमार जैन की पत्नी सुशीला जैन अब क्षुल्लिका श्री 105 शीलश्री माताजी के नाम से जानी जाएंगी।
शहर के कीर्ति स्तंभ में सांसारिक मोह त्यागकर पन्ना के देवेंद्र नगर और झांसी से आई आर्यिकाएं जैन मुनि दीक्षा ले रही थी। बेटियों के दीक्षा समारोह में आए मां और पिता की आंखों से आंसू बह निकले। दीक्षा के लिए आर्यिकाओं का रात 3 बजे से सुबह 6 बजे तक केश लोचन संस्कार हुआ। शहर में पहली बार हुए सात आर्यिकाओं के दीक्षा समारोह में जैसे पूरा शहर ही उमड़ पड़ा था। कीर्ति स्तंभ में पांव रखने की जगह नहीं थी। आर्यिका गणिनी विभाश्री माताजी ने दीक्षा संस्कार किया तो परिजन के साथ मौजूद कई श्रद्धालुओं की आंखें नम हुईं। दीक्षा लेना बेहद कठिन काम है। पन्ना और झांसी जिले से आई बहनों को दीक्षा से पहले रात में 3 बजे से सुबह 6 बजे तक आर्यिका गणिनी विभाश्री माताजी के सानिध्य में केश लोचन हुआ। हाथों से एक-एक बालों को उखाड़ा गया। सुबह नित्य प्रक्रिया हुईं। कीर्ति स्तंभ परिसर में समारोह स्थल पर चावल से सांतिया बनाकर चौक बनाए गए। इन चौक पर सफेद कपड़ा डाला गया। कपड़े पर हल्दी से सांतिया बनाकर बहनों को बैठाया गया। दीक्षा संस्कार शुरू किया गया। केश लोचन के बाद बचे वालों को सभी श्रद्धालुओं के सामने खींचकर निकाला गया। संस्कार पूरा होने के बाद पिच्छी और कमंडल भेंट किए गए।
आर्यिका गणिनी विभाश्री माताजी के सानिध्य में दीक्षा लेने वाली आर्यिका एमए और बीएड व प्रोफेशनल कोर्स किए हैं। पन्ना के देवेंद्र नगर निवासी रोशनी जैन ने एमए, डीएड और पीजीडीसीए किया है। इनकी बहन नेहा जैन की एमए फाइनल ईयर थी। पिता अशोक कुमार जैन गल्ला कारोबारी हैं। देवेंद्र नगर निवासी राजुल जैन भी ग्रेजुएट हैं। पिता प्रकाशचंद्र जैन कपड़ा व्यापारी हैं। इनकी छोटी बहन प्रीति जैन भी ग्रेजुएट हैं। शिखा जैन एमए, पीजीडीसीए पास हैं। प्रियंका जैन बीएससी पास हैं। पिता प्रमोद कुमार जैन का ट्रांसपोर्ट कारोबार है। झांसी करधामा निवासी सुशीला जैन 10वीं पास हैं।
दीक्षा समारोह से पहले शहर में किला गेट बजरिया से बैंड बाजों की धुन पर 24 तीर्थन्करों और दीक्षार्थियों की शोभा यात्रा निकाली गई। शोभायात्रा में हाथी पर धर्मध्वजा फहराई गई। शोभायात्रा और दीक्षा समारोह में सांसद डॉ. भागीरथ प्रसाद, विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह, और शहर के गणमान्य नागरिक मौजूद रहे।
दीक्षा समारोह में आर्यिका गणिनी विभाश्री माताजी ने कहा जिस तरह से दोस्ती करना आसान है, लेकिन निभाना कठिन है। मोक्ष मार्ग भी तलवार की धार पर चलने के समान है। एक परिवार की दो-दो बहनें मोक्ष मार्ग पर आईं हैं। देवेंद्र नगर की यह बहनें जब घर से निकली तो दूसरे भाई-बहनों ने रोका, लेकिन वैराग सच्चा होता है। कोई नहीं रोक पाता है। करीब 2 साल से निरंतर इस मार्ग पर आने के लिए निवेदन करती आ रही थी और आज यह पावन दिन आया, जिसमें इन्हें दीक्षा दी जा रही है। माताजी ने कहा बहनें स्वेच्छा से दीक्षा के लिए आईं हैं।

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