लोकसभा में आज शीतकालीन सत्र के दौरान गृहमंत्री अमित शाह ने आपराधिक कानूनों से संबंधित 3 नए विधेयक पेश किये। जिसे विपक्षी सांसदों की गैर मजूदगी में पारित कर दिया गया है। इन पारित विधेयकों में भारतीय न्याय संहिता विधेयक , भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक और भारतीय साक्ष्य विधेयक शामिल हैं।
विधेयक पेश करते हुए गृह मंत्री ने कहा, “इन तीनों कानूनों से गुलामी की मानसिकता से मुक्त कराया गया है। इसमें न्याय, समानता और निष्पक्षता को समाहित किया गया है। 150 साल पुराने अंग्रेजों के जमाने के कानून में बदलाव किया गया है। ये विधेयक पारित होने के बाद पूरे देश में एक ही प्रकार की न्याय प्रणाली होगी। अगले 100 साल तक जितने तकनीकी बदलाव होंगे, सारे प्रावधान इसमें कर दिए गए हैं।”
आपको बता दें, ये विधेयक क्रमश: भारतीय दंड संहिता (IPC), आपराधिक प्रक्रिया संहिता (CrPC) और भारतीय साक्ष्य अधिनियम की जगह लेंगे। इस विधेयक में राजद्रोह कानून खत्म करने का प्रावधान है। हालांकि, विधेयक में राजद्रोह जैसा ही प्रावधान होगा, लेकिन इसे एक नया रंग-रूप और नाम दिया गया है। BNS में मॉब लिंचिंग का दोषी पाए जाने पर न्यूनतम 7 साल की जेल से लेकर मृत्युदंड तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा गैंगरेप के मामले में 20 साल जेल से लेकर आजीवन कारावास का प्रावधान है। इसमें धारा 377 जैसा कोई प्रावधान नहीं है।
शाह ने कहा- मॉब लिंचिंग घृणित अपराध है और हम इस कानून में मॉब लिंचिंग अपराध के लिए फांसी की सजा का प्रावधान कर रहे हैं। लेकिन मैं विपक्ष से पूछना चाहता हूं कि आपने भी वर्षों देश में शासन किया है, आपने मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून क्यों नहीं बनाया? आपने मॉब लिंचिंग शब्द का इस्तेमाल सिर्फ हमें गाली देने के लिए किया, लेकिन सत्ता में रहे तो कानून बनाना भूल गए।